सात साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज, निवेशकों के 7 लाख करोड़ डूबे

मुंबई: चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर गहराती चिंताओं के बीच एशिया के प्रमुख शेयरों में भारी उथल-पुथल रही और कारोबार के दौरान बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1700 अंक तक लुढ़क गया। खासकर संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के दबाव में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों वाला निफ्टी भी करीब 500 अंक गिरकर 7800 से नीचे चला गया।

बाजार में 2009 से अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट रही और सेंसेक्स करीब छह फीसदी टूट गया। कारोबार खत्म होने पर सेंसेक्स 1625 अंक गिरकर 25,742 पर और निफ्टी 491 अंक गिरकर 7809 पर बंद हुआ।

चीन की अर्थव्यवस्था का संकट पहले के अनुमानों से भी गहरा माना जा रहा है जिससे निवेशकों में घबराहट देखी गई। डॉलर के मुकाबले रुपया भी और कमजोर होकर 66.47 के स्तर पर गिर गया, जो दो साल का सबसे निचला स्तर है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर जमकर गिरे। बीएसई के रियल्टी, बैंकिंग और ऑटो शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली आई। यस बैंक, वेदांता, बैंक ऑफ बड़ौदा, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और गेल के शेयरों में भारी कमजोरी आई।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मौजूदा संकट पर कहा है कि भारतीय बाज़ार पर जो भी असर है, वो कुछ समय के लिए है और ये बाहरी कारणों से है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी अर्थव्यवस्था के लिए जो रोडमैप चुना है, उस पर आगे बढ़ते रहने की जरूरत है।

जब से पड़ोसी देश चीन ने अपनी करेंसी यूआन की कीमत घटाई है तब से भारतीय रुपये में गिरावट का दौर तेज़ हो गया है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर आशंका बढ़ी है। चीन के बाजार और अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों में डर है, जिस वजह से निवेशक भारतीय बाजार से पैसा खींच रहे हैं।  

हफ्ते के पहले कारोबारी दिन एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिली। शंघाई कम्पोजिट 7.25 फीसदी गिरकर 3,270 के स्तर पर आ गया। जापान का निक्केई 3 फीसदी से ज्यादा गिरकर 18,850 के नीचे पहुंच गया। हैंग सेंग में 4.25 फीसदी की तेज गिरावट दिखी। कोरियाई कोस्पी में भी 2.2 फीसदी की कमजोरी है। ताइवान का इंडेक्स करीब 7 फीसदी गिरकर 7,300 के नीचे पहुंच गया।