संस्कृत का ज्ञान धर्म और वर्ग से परे है: राज्यपाल
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक ने आज अखिल भारतीय संस्कृत परिषद द्वारा ‘भारतीय संस्कृति और संस्कार-आधुनिक परिप्रेक्ष्य में‘ विषयक संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में समय के साथ पीढि़यों के बदलाव में मुख्यधारा को पहचाने की अद्भुत शक्ति है। संस्कृति का आधार संस्कृत भाषा है। जो लोग संस्कृत भाषा जानते हैं उनका दायित्व है कि संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाये। भारतीय समाज में गर्भ धारण करने पर संस्कार होता है। लिंग भेद या भ्रूण हत्या भारतीय संस्कृति नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार में आई विकृति को दूर करने पर विचार करने की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि विदेशों में संस्कृत भाषा का महत्व समझते हुए अध्ययन हो रहा है जबकि हम यह कहते हैं कि संस्कृत भाषा विलुप्त हो रही है। संस्कृत का ज्ञान धर्म और वर्ग से परे है। उन्होंने एक समाचार पत्र में छपी खबर को उद्धृत करते हुए कहा कि मुस्लिम बेटियाँ भी संस्कृत भाषा में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त कर रही है। मरियम सिद्दीकी जो 12 वर्षीय छात्रा हैं, ने गीता प्रतियोगिता में संस्कृत के माध्यम से प्रथम स्थान प्राप्त किया। संस्कृत वस्तुतः ऐसी भाषा है जो अनेक भाषाओं की जननी है। संस्कृत ने हजारों वर्षों से हमारी भारतीय संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है बल्कि उसका संवर्धन तथा पोषण भी किया है। वैचारिक प्रज्ञा को समझने के लिए संस्कृत एक उपाय है जिसमें हमारी संस्कृति की महत्वपूर्ण संकल्पनाएं अभिव्यक्त की गयी हैं।
श्री नाईक ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने देश को एक सूत्र में पिरोकर रखने का कार्य किया है। अलग-अलग सम्प्रदाय, भाषा एवं आचार-विचार की विविधता में जो अंतर्निहित एकता है उसको रेखांकित करके देश को शक्तिशाली बनाने का काम हमारी संस्कृति ने किया है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति एवं सभ्यता अनेकता में एकता तथा विभिन्नता में एकरूपता की द्योतक रही है।
संगोष्ठी में प्रो0 अशोक कुमार कालिया ने भारतीय संस्कृति और संस्कार पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर श्री रमेश चन्द्र त्रिपाठी अध्यक्ष अखिल भारतीय संस्कृत परिषद, श्री जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी तथा राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन सहित संस्कृत प्रेमीजन तथा छात्र-छात्रायें भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर परिषद के पुस्तकालय का अवलोकन किया तथा परिषद के प्रयास की सराहना भी की।