कल्बे जव्वाद ने मुलायम को दिया एक सप्ताह का समय
मांगें न मानी गईं तो फिर शुरू होगा आंदोलन
लखनऊ : शिया वक्फ बोर्ड में फैले भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यकों के अधिकारों से अनदेखी और मांगों को स्वीकार न किए जाने के खिलाफ आज मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि हम हर मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के पक्ष में हैं इसीलिए हमने समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव से दिल्ली में मुलाकात की थी ताकि मसाएल का बातचीत के जरिए समाधान किया जा सके। उन्होंने 10 अगस्त को दिल्ली में वादा किया था कि 14 अगस्त को लखनऊ में मुलाकात करके मसाएल का निपटारा किया जाएगा । 14 अगस्त को जब उनसे संपर्क की कोशिश की गई तो मालूम हुआ कि वह दिल्ली ही में हैं लखनऊ वापस नहीं आए ।उसके बाद से आज तक उनसे मुलाकात की हर संभव कोशिश की गयी, उनके पी0ए0 से संपर्क किया गया मगर कोई जवाब नहीं दिया गया तो अब हम आंदोलन को फिर से शुरू करने के लिए मजबूर हैं। हम चाहते हैं कि वक्फ की सीबीआई जांच हो और युवाओं पर जो फर्जी मुकदमे लगाए गए हैं उन्हें तुरंत वापस लिया जाए, अंत विराम की सीबीआई जांच क्यों नहीं कराई जाती है
मौलाना ने कहा कि अगर 28 अगस्त अगले शुक्रवार तक मुलायम सिंह यादव मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं तो वे आंदोलन जो सरकार और प्रषसन के आश्वासन के बाद स्थगित कर दिया गया था फिर से शुरू कर दिया जाएगा। मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी के मकान पर उलमा की एक बैठक में इन सभी मसाएल पर विचार किया गया कि आखिर मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में 14 अगस्त को मुलाकात का वादा किया था तो फिर मुलाकात का समय क्यों नहीं दिया गया इस संबंध में किए गए संपर्क का भी कोई जवाब नहीं आया जबकि उन्हें इस संबंध में पत्र भी लिखा गया । मौलाना ने कहा कि अगर एक सप्ताह में मांगों को स्वीकार न गया तो हम आंदोलन को फिर से शुरू कर देगेें। इस लिए सरकार एक सप्ताह में 28 अगस्त तक यदि मांगों को स्वीकार नहीं करती है जो आंदोलन आश्वासन के बाद स्थगित कर दिया गया था वह शुक्रवार से फिर से शुरू हो जाएगा आंदोलन का रूप क्या होगा इसकी घोषणा बाद में की जाएगी। मौलाना ने कहा कि अगर मांगें न मानी जाती हैं तो हम चुप नहीं बैठेंगे । उलमा ने कहा कि पूरी योजना वक्फ समप्त्तियों को नष्ट करने की है इसीलिए हुसैना बाद ट्रस्ट की जमीन पर पार्किंग बनाने की तैयारी हो रही है।
मौलाना ने कहा कि हम उलमा से अपील करते हैं कि वह हक की लड़ाई में शामिल हों क्योंकि वक्फ किसी की निजी संपत्ति नहीं हैं यह इमामे जमाना की संपत्ति है और इमाम की संपत्ति की सुरक्षा हम सब पर अनिवार्य है।