उपहार अग्निकांड: अंसल भाइयों पर केवल जुर्माना, जेल नहीं
नई दिल्ली: वर्ष 1997 में नई दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में उपहार सिनेमा हॉल में आग लगने से 59 लोगों के मारे जाने और करीब 100 से अधिक के घायल होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सिनेमा हॉल के मालिक दोनों अंसल बंधुओं को दोषी करार दिया, लेकिन दोनों पर सिर्फ 30-30 करोड़ का जुर्माना लगा और कहा कि उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंसल बंधुओं द्वारा जमा कराई गई जुर्माने की 60 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल दिल्ली सरकार करेगी।
कोर्ट ने इस अग्निकांड के मामले में अंसल बंधुओं की सजा उनके द्वारा जेल में अब तक बिताई गई अवधि तक सीमित की। न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अमिताव राय की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले में सुनवाई की।
उपहार त्रासदी के पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष नीलम कृष्णामूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त है। पीड़ितों की ओर से मुकदमा लड़ रहे वकील ने दोनों भाइयों को जेल भेजे जाने की मांग की थी।
इससे पहले, न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र (अब सेवानिवृत्त) की पीठ ने पांच मार्च, 2014 को सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया था, लेकिन दोनों न्यायाधीश दोषियों को सजा की मात्रा पर एकमत नहीं थे।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने अंसल बंधुओं को एक साल की सजा देने संबंधी हाईकोर्ट के 2008 के फैसले से सहमति व्यक्त की थी, लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा ने सुशील अंसल की उम्र को ध्यान में रखते हुए इस सजा को जेल में बिताई गई अवधि तक सीमित करते हुए गोपाल की सजा बढ़ाकर दो साल कर दी थी।
गौरतलब है कि 13 जून, 1997 को सिनेमाहॉल में मैटिनी शो (दोपहर तीन से शाम छह बजे तक) के दौरान आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी, और 100 से ज़्यादा भगदड़ में घायल हो गए थे। मरने वालों में से अधिकतर की जान दम घुटने के कारण हुई थी।