BCCI के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण में फिर पहुँच ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन
उच्च न्यायालय ने सभी पुराने मामले एक सप्ताह में पेश करने के निर्देश दिए
औरंगाबाद: ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा फिर से बीसीसीआई के खिलाफ उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों के लिये अलग टीम बनाने और सदस्य्ता की मांग को लेकर याचिका पर सुनवाई हुई जिसमे उच्च न्यायालयने BCCI खिलाफ सभी पुराने मामलों को एक सप्ताह के अंदर पेश करने का निर्देश दिया। इसकी अगली सुनवाई 20 अगस्त को रखी गई है ।
रणजी टीम में ग्रामीण खिलाड़ियों को लेने के लिए औरंगाबाद कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसपर संज्ञान लेते हुये उच्च न्यायालय ने बीसीसीआई को 09 जुलाई 2014 को आदेश जारी किया था पर BCCI ने ग्रामीण क्रिकेट असोसिएशन को एक पत्र भेजकर बताया कि आप BCCI के मेंबर नही हैं लेकिन उच्च न्यायालय ने बीसीसीआई को ग्रामीण क्रिकेट असोसिएशन को मेंबर होने के लिये रूल्स और रेगुलेशन देने के लिये ऑर्डर आदेश दिया था ।
उक्त जानकारी देते हुये याचिकाकर्ता ग्रामीण संगठन के सचिव लवकुमार जाधव व उनके वकील प्रशांत सूर्यवंशी ने बताया कि खंडपीठ ने बीसीसीआई को ऑर्डर जारी कर दिया था लेकिन BCCI ने उचित निर्णय नही लिया इस लिये ग्रामीण क्रिकेट असोसिएशन फिर से उच्च न्यायालय में 07 जुलाई 2015 को मदद मागंने गये
लवकुमार ने बताया कि एसोसिएशन की स्थापना 13 अप्रैल 2004 को हुई थी जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए विगत 10 वर्षों से लगातार तहसील जिला राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धायें आयोजित की जा रही हैं। संस्था ने अब तक 13 प्रदेशों में 27 हजार से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किये हैं।
उन्होंने जानकारी देते हुये कहा कि जिस तरह बीसीसीआई रणजी की शहरी टीमों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में लेती रही है उसी तरह से ग्रामीण टीमों के खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय टीम में लेना चाहिये। इस संबंध में पहले संस्था द्वारा बीसीसीआई से कई बार पत्र व्यवहार किया गया मगर अभी तक बीसीसीआई की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
बीसीसीआई के इस व्यवहार से क्षुब्ध होकर ही संस्था ने विवश होकर अब न्यायालय की शरण ली है। नये उदीयमान ग्रामीण खिलाड़ियों के भविष्य की खातिर न्यायालय ही एक रास्ता शेष रह जाता है।