तमाम मसलक में मकबूल थे मौलाना अहमद मियाँ फरंगी महली: अदीब
खानकाह फरंगी महल में मौलाना मरहूम के ईसाल-ए-सवाब के लिए कुरान ख्वानी का आयोजन
लखनऊ: मौलाना अहमद मियां फरंगी महली जिनका निधन 4 साल पहले शव्वाल में हुआ था उनके सवाब के लिये खानकाह फरंगी महल में कुरआन ख्वानी का आयोजन किया गया। कुरआन ख्वानी के बाद इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, नाजि़म दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल ने मौलाना अहमद मियां फरंगी महली (रह0) के दरजात की बुलन्दी के लिये खुदा पाक से दुआएं कीं।
इस अवसर पर मुहम्मद अहमद खाँ अदीब ने मौलाना अहमद मियाँ फरंगी महली (रह0) की हयात व खिदमात पर विस्तार से रौशनी डालते हुए कहा कि उन्होंने उलामा-ए-फरंगी महल की तारीख को दोबारा जिन्दा करने का ऐतिहासिक कार्यनामा अंजाम दिया। खास तौर पर दारूल उलूम निजामिया फंरगी महल, इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया और अल्लामा अब्दुल हई फरंगी महली (रह0) फिकह एकेडमी को स्थापित किया। उनकी यह खिदमात रहती दुनिया तक याद रखी जायेगी।
उन्होंने कहा कि मौलाना अहमद मियाँ (रह0) में यह एक बहुत बड़ी खूबी थी कि आप तमाम मसलक के लोगों को साथ लेकर चलते थे और सभी का बराबर ख्याल रखते थे। यही वजह थी कि वह तमाम मसलक के लोगों में मकबूल थे। जिसका बहुत बड़ा सुबूत उनका चाँद का ऐलान है जिसको सब लोग मानते थे। इसी तरह ईद की नमाजें हैं जिन में हर मसलक के मानने वाले शामिल होते थे।
मौलाना मरहूम को खिराज अकीदत पेश करने के लिए कई शैक्षिक संस्थाओं व मिल्ली इदारों और संस्थानों के पदाधिकारियों और खानदान-ए-फरंगी महल के अतिरिक्त मुरीदीन जिनमें मौलाना अबुल हसन फरंगी महल, हाफिज अब्दर्रशीद, कारी जुबैर अहमद, शेख़ राशिद अली मीनाई, दारूल उलूम निजामिया के अध्यापको और विद्यार्थी, अदनान खाँ और शेख सऊद रईस उल्लेखनीय है।