1950 से पहले मुसलमान दलितों को भी मिलता था आरक्षण: अनीस मंसूरी
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज ने आज काली पट्टी बांधकर काला दिवस मनाया। इस अवसर पर सभा को सम्बोधित करते हुए पसमांदा मुस्लिम समाज के राश्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी जी ने कहा कि 1950 से पहले हिन्दु दलितों के समान मुसलमान दलितों को भी आरक्षण की सुविधा प्राप्त थी परन्तु धारा 341 (3) पर अध्यादेश जारी कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगाकर पसमांदा मुसलमानों को केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आरक्षण से वंचित कर दिया। यह कांग्रेस की कुटिल चाल थी जिससे दलित मुसलमानों की पूरी आबादी प्रभावित हो गयी और वह हर क्षेत्र में पिछड़ गया। दलित मुसलमानों के रोजगार एवं उद्योग धंधे समाप्त हो गये जिससे चारो तरफ तबाही का मंजर है। आजादी के बाद से ही केन्द्र और राज्य सरकारे पसमांदा मुसलमानों का घोर शोषण करती आ रही है। पसमांदा मुसलमानों का सबसे ज्यादा शोषण कांग्रेस की सरकार ने किया। जब राष्ट्रपति के अध्यादेश से प्रतिबंध लगाया जा सकता है, तो राष्ट्रपति के ही अध्यादेश से धारा 341 (3) पर लगे उक्त प्रतिबंध समाप्त हो सकता है, जिसे केन्द्र सरकार को अविलम्ब करना चाहिए एवं दलित मुसलमानों की हालत को देखते हुए न्यायपालिका का इसमें बाधक नहीं बनना चाहिए। अलबत्ता केन्द्र सरकार ने 21 जुलाई 1959 को आदेश पारित किया कि यदि दलित मुसलमान हिन्दु धर्म अपना ले तो उसे रिजर्वेशन दिया जायेगा जबकि संविधान की धारा 366 (24) में धर्म का जिक्र नहीं है एवं मात्र दलित कौन होगा इसका ही जिक्र है।यह दलित मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का हनन है। सर्वोच्च न्यायालय में दायर वाद में आज तक केन्द्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया गया है। संविधान की धारा 14 में नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है एवं धार्मिक आधार पर भेदभाव से रोक है। पसमांदा मुस्लिम समाज यह मांग करता है कि धारा 341 (3) से धार्मिक प्रतिबंध समाप्त कर हिन्दू, सिख व बौद्ध अनुसूचित जातियों की भांति मुस्लिम अनुसूचित जातियों को भी अधिकार दिया जाये। पसमांदा मुस्लिम समाज देश के पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जन जातियों के साथ साझेदारी चाहता। न्यायधीश राजेन्द्र सच्चर एवं न्यायधीश रंगनाथ मिश्र ने अपनी रिपेार्ट में साफ किया है कि इन दलित मुसलमानों के हालात हिन्दू दलितों से बदतर है अतः अविलम्ब आरक्षण व्यवस्था बहाल की जाय।