हम ज्ञान के उपासक हैं, अज्ञान के नहीं: ओम पाल सिंह
नेशनल पी0जी0 कालेज में ‘‘गुरु वंदन कार्यक्रम’’ का आयोजन
लखनऊ। अपने राष्ट्र और समाज जीवन के अंतःकरण के अंधकार को दूर करने वाला पुनीत पर्व है गुरुपूर्णिमा। शिक्षक- आचार्यों के समर्पण के कारण ही करोड़ों लोगों का ज्ञानवर्धन होता है। हम श्रद्धा के उपासक हैं, अन्धविश्वास के नहीं। हम ज्ञान के उपासक हैं, अज्ञान के नहीं। जीवन के हर क्षेत्र में विशुद्ध रूप में ज्ञान की प्रतिष्ठापना करना ही हमारी संस्कृति की विशेषता रही है। सृष्टि के साथ समन्वय करते हुए जीना ही मानव का कर्तव्य है। त्याग, समर्पण, समन्वय की संस्कृति ही शांतियुक्त, सुखमय, आनन्दमय जीवन का आधार है।
उक्त बातें नेशनल पी0जी0 कालेज में राष्ट्रीय क्षैशिक महासंघ उत्तर प्रदेश लखनऊ विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालय इकाई द्वारा आयोजित ‘‘गुरु वंदन कार्यक्रम’’ में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ओम पाल सिंह ने कही। उन्होंने कहा की सृष्टि के संरक्षण के लिए मानवतायुक्त मनुष्य बनना है, तो गुरुपूजा महत्वपूर्ण है। बुद्धि के अहंकार के कारण मनुष्य गड़बड़ करता है। इसलिए ‘गुरुपूजा’ के द्वारा मानव जीवन में त्याग, समर्पण भाव निर्माण होता है। आसुरी प्रवृत्त्यिों को नष्ट करते हुए त्याग, तपस्या, प्रेम से युक्त गुणों को अपने जीवन में लाने की साधना ही गुरु पूजा है। शैक्षिक जगत बीमारियों का शोधन करें शिक्षक।
राष्ट्रीय क्षैशिक महासंघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष प्रो अनिल कुमार सिंह ने कहा की पीढ़ियों को तराशने का कार्य सदैव से शिक्षक ही करता आया है वह जैसा चाहेगा समाज की रचना वैसा ही बनेगी। गुरु शिष्य को अंत: शक्ति से ही परिचित नहीं कराता, बल्कि उसे जागृत एवं विकसित करने के हर संभव उपाय भी बताता है।
महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के कुलपति प्रो एच के सिंह ने कहा की हमें अपनी प्राचीन ज्ञान की विरासत व विचारों को अपना पाथेय बना राष्ट्र के पुनर्निर्माण के कार्य में जुटना होगा तभी हम विश्वगुरु भारत के प्रभाव को पुनर्स्थापित कर सकेंगे।
लखनऊ विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग एवं राष्ट्रीय क्षैशिक महासंघ लखनऊ विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालय इकाई के अध्यक्ष प्रो सोमेश कुमार शुक्ला ने कहा की शिक्षक होने का हमेशा गौरव महसूस करें और मन में कभी हीनता न आने दें। गुरु की गरिमा और गौरव का सदा ध्यान रखे।परिस्थितियाँ बदल रही है तो शिक्षक अपना कर्त्तव्य निभाए और सुयोग्य नागरिको का निर्माण करे जो राष्ट्र निर्माण में अपना सक्रिय योगदान सुनिशित करे।
राष्ट्रीय क्षैशिक महासंघ लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई के महामंत्री डॉ सुरेश पति त्रिपाठी ने सभी से महासंघ से जुड़ने की अपील करते हुए बताया की महासंघ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ स्वाध्याय- स्वावलम्बन -सम्मान के संकल्पना के आधार पर ऐसी रचना का निर्माण कर रहा है जिससे राष्ट्र के हित में शिक्षा , शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज खड़ा हो। भारत के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए गुरू वन्दन कार्यक्रम सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाते है जिससे सशक्त -समृद्धि भारत के लिए लोक जागरण हो।
नेशनल पी0जी0 कालेज के प्राचार्य डा0 सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा की आत्मबल को जगाने का काम गुरु ही करता है। गुरु अपने आत्मबल द्वारा शिष्य में ऐसी प्रेरणाएं भरता है, जिससे कि वह अच्छे मार्ग पर चल सके। महाविद्यालय का प्रयास ऐसे सुयोग्य नागरिको का निर्माण करना है जो देश -समाज के लिए अपनी प्रतिभा -क्षमता समर्पित कर भारतीय धवज पताका दुनिया में फहरायें।
गुरुवंदन कार्यक्रम का संचालन करते हुए राष्ट्रीय क्षैशिक महासंघ लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई के कोषाध्यक्ष डॉ हरनाम सिंह ने शिक्षा को सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों की नीव पर स्थापित करने की बात करते हुए कह की शिक्षा लौकिक एवं परमार्थी हो जो आवश्यकता के अनुरूप व्यक्ति निर्माण के साथ राष्ट्र -निर्माण में सहायक हो।
गुरुवंदन कार्यक्रम में उपाध्यक्ष के के सी की आचर्या डॉ सुषमा मिश्रा , लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो ओंकारनाथ उपाध्याय, प्रो आर बी सिंह मून , कालीचरण पी जी कालेज के डॉ सुभाष चन्द्र पाण्डे , डॉ डी सी डी आर पाण्डेय ने अपने विचार व्यक्त किये जिसमे प्रमुख रूप से प्रो नर सिंह , डॉ पवन कुमार सिंह, डॉ रामकृष्ण जायसवाल , डॉ राजकुमार, डॉ विनोद यादव , डॉ शिव कुमार मिश्रा ,डॉ मनोज शर्मा, डॉ अब्दुल रहीम, डॉ जमशेद खान , डॉ मोहमद तैय्यब , डॉ शशि कांत त्रिपाठी ,डॉ सपन अस्थाना , डॉ अजय शुक्ल सहित महासंघ से जुड़े विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों के शिक्षक उपस्थित रहे।