स्वराज को सुराज में परिवर्तित करने का संकल्प लें: नाईक
राज्यपाल ने लोकमान्य बाबगंगाधर तिलक को श्रद्धांजलि अर्पित की
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक ने आज लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की पुण्यतिथि के अवसर पर लालबाग स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर एवं चित्र पर माल्र्यापण करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पूर्व पार्षद भैय्या जी सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राज्यपाल ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल के नाते वे जनता का आहवान करते है कि स्वराज को सुराज में परिवर्तित करने का संकल्प लें। स्वस्थ एवं सुरक्षित समाज के निर्माण में जनता अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि अपनी श्रद्धा को केवल पुष्प एवं माल्र्यापण तक सीमित न रखते हुए सही मायने में देश के सपूतों को याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का प्रयास करें।
श्री नाईक ने कहा कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने अपना पूरा जीवन देश की आजादी के लिए लगा दिया। देश को आजाद कराने का 1857 का पहला संघर्ष यहीं से शुरू हुआ था। बालगंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव एवं छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती को बडे़ पैमाने पर आयोजित करने की शुरूआत की। उनका मानना था कि ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम से जनान्दोलन का रास्ता निकलता है। उन्होंने कहा कि सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम अपने महापुरूषों के विचारों और जीवन दर्शन को उनके आदर्शों के अनुरूप चलकर देश एवं समाज के निर्माण में योगदान करें।
राज्यपाल ने कहा कि बाबगंगाधर तिलक ने ‘स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है‘ का नारा देकर स्वाधीनता आन्दोलन को एक नया आयाम और दिशा दी। उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक ने समाज को सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से संगठित करने की दृष्टि से एकसूत्र में बाधने का सफल प्रयास किया। इसी दृष्टि से उन्होंने ‘मराठा दर्पण‘ और ‘केसरी‘ नाम से दो समाचार पत्र शुरू किये जिसमें स्वाधीनता आन्दोलन के लिए प्रेरित करने वाले लेखों का प्रकाशन होता था।