डा0 कलाम का जीवन महोत्सव बन गया: वीरेन्द्र याज्ञनिक
जेएनपीजी में पूर्व राष्ट्रपति को दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि
लखनऊ: श्री जयनारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आज पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परमपूज्य मानस विषेशज्ञ वीरेन्द्र याज्ञनिक ने छात्रों एवं अध्यापकों को डा0 कलाम के सरल, निर्मल एवं कर्मठ जीवन से जीवन प्रबन्धन के सूत्र सीखने का आवाहन किया। डा0 कलाम को नमन करते हुए उन्होंनें उन्हें महान वैज्ञानिक के साथ- साथ मानव मूल्यों के प्रणेता के रूप में स्मरण किया और कहा कि वे पूर्व राष्ट्रपति डा0 राधाकृश्णन से भी अधिक सरल एवं विनम्र थे। उनकी जीवन यात्रा जो मछुवारे एवं मौलवी के बेटे के रूप में प्रारम्भ हुई उसने गीता में वर्णित महापुरुषों से योग्य सरलता एवं योग्यता को प्राप्त किया। उनका संदेश था कि सोते हुए सपने मत देखो, जागते हुए सपने देखो। उनका जीवन आज के युग मे प्रचलित विज्ञान प्रौद्योगिकी, तकनीक एवं धन प्राप्ति की होड़ से अलग हट कर जीवन मूल्यों को समर्पित था। जिस पथ पर अग्रसर होते हुए उनका जीवन महोत्सव बन गया। जब उनसे एक छोटी बालिका ने पूछा कि यह देश क्यों गरीब है और हम कैसे इससे मुक्त होंगें तो उनका उत्तर था कि भारतवासियों को अपने मन की गरीबी से बचना होगा और अपने अभ्युदय के लिए सतत परिश्रम करना होगा। चरित्र के बिना सफलता और समृद्धि बेमानी है।
श्री वीरेन्द्र याज्ञनिक के उद्बोधन से पूर्व महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 एस0डी0 शर्मा ने डा0 कलाम के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए सभी का आवाह्न किया। सभा का प्रारम्भ अतिथियों, शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा डा0 कलाम के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। इस अवसर पर डा0 आलोक मिश्र, डा0 एस0सी0 हजेला, डा0 अरूण मिश्र, डा0 सुशमा मिश्रा, डा0 सरल अवस्थी, डा0 शुचि मिश्रा, डा0 पायल गुप्ता, डा0 समन खान तथा अन्य शिक्षकगण के अतिरिक्त बी0बी0ए0(आई0बी0), बी0एड0 एवं विज्ञान संकायों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें। सभा के अन्त में दो मिनट का मौन रखकर डा0 कलाम की दिवंगत आत्मा की शान्ति की प्रार्थना की गयी।