पी-नोट्स पर फैसला सोच समझकर: अरुण जेटली
नयी दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि वह पी-नोट्स के मामले में बिना सोचे विचारे ऐसा कोई निर्णय नहीं लेगी जिससे कि देश के निवेश माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। कालेधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में पी-नोट्स से होने वाले निवेश पर नजर रखने के लिये कठोर नियमन की सिफारिश आने के बीच सरकार की तरफ से यह बात कही गई है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि कोई भी विचार पक्का करने से पहले सरकार सभी सुझावों का अध्ययन करेगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा कालेधन पर रिपोर्ट तैयार करने के लिये गठित एसआईटी ने पिछले सप्ताह सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेबी को पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) से होने वाले निवेश संबंधी नियमों को और सख्त बनाना चाहिये। इस सिफारिश के बाद आज शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में गिरावट रही।
जेटली ने यहां संसद भवन स्थित अपने कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, यह कहना जल्दबाजी होगी कि सरकार इस बारे में क्या फैसला लेगी। लेकिन यह पक्का है कि वह बिना सोचे समझे जल्दबाजी में ऐसा कोई फैसला नहीं लेगी जिससे कि खासकर देश के निवेश परिवेश पर प्रतिकूल असर हो। जेटली ने कहा कि कालेधन पर एसआईटी ने जो सिफारिशें दी हैं वह सरकार के समक्ष आयेंगी और सरकार कुछ समय में इसका अध्ययन करेगी। उसके बाद देश में निवेश के माहौल, साथ ही एसआईटी की सिफारिशों के पीछे के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये ही कोई अंतिम निर्णय लेगी।
एसआईटी ने कहा है कि शेयर बाजार में कालेधन के इस्तेमाल और कर चोरी रोकने के लिये सेबी को पी-नोट्स के जरिये होने वाले निवेश और दूसरे विदेशी निवेश साधनों की निगरानी के लिये कड़े नियमन तय करने चाहिये। वर्ष 2007 में भी इसी प्रकार की सिफारिशें दी गईं थी जिससे शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आ गई थी जिसकी वजह से तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को यह घोषणा करनी पड़ी थी कि सरकार ऐसे कोई उपाय नहीं करेगी।
पार्टिसिपेटरी नोट्स यानी पी-नोट्स भारत में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा विदेशी धनी निवेशकों को जारी किये जाते हैं। ऐसे विदेशी निवेशक जो भारतीय बाजारों में निवेश करना चाहते हैं लेकिन वह बाजार नियामक के पास खुद को पंजीकृत कराने की लंबी और समय खपाने वाली प्रक्रिया से बचते हैं, इन पी-नोट्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे सीधी उनकी पहचान छुपी रहती है।