नौनिहालों के साथ मजाक कर रही अखिलेश सरकार: डा0 चन्द्रमोहन
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि अपनी ही योजना को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का हीलाहवाली वाला रवैया एक बार फिर जाहिर हो गया है। प्राइमरी स्कूलों में पढने वाले बच्चों को मिड-डे-मील में 200 मिलीलीटर दूध देने की घोषणा तो उन्होंने तीन महीने से पहले ही कर दी थी लेकिन इसके लिए जरूरी इंतजाम करने की जहमत तक नहीं उठाई।
प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि प्रदेश में 1.15 लाख प्राइमरी और 54 हजार अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें पढने वाले दो करोड़ बच्चों को मिड-डे-मील दिया जाता है. इन बच्चों को स्कूल में 200 मिलीलीटर दूध देने के लिए सरकार को कुल 40 लाख लीटर दूध की जरूरत होगी। अब प्रदेश सरकार यह बताए कि वह 40 लाख लीटर दूध का कैसे इंतजाम करेगी? अभी तक सरकार ने स्कूलों में दूध वितरण का अलग से कोई बजट नहीं जारी किया है और न ही प्रधान और प्रधानाध्यपकों को किसी प्रकार के दिशा निर्देश भेजे हैं कि वह बच्चों के लिए 200 मिलीलीटर दूध का कैसे प्रबंध करेंगे।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि यही वजह है कि यह योजना लागू होने के पहले दिन ही दम तोड़ती नजर आई है। पूरे प्रदेश में महज 15 से 20 प्रतिशत स्कूलों में ही बच्चों को दूध नसीब हो पाया है। यही नहीं जब सपा सरकार के संरक्षण में पूरे प्रदेश में मिलावटी और सिंथेटिक दूध का व्यापार जोरों पर है ऐसे में नौनिहालों को शुद्ध दूध मिलने पर भी प्रश्नचिन्ह है। सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 3.59 रुपए और अपर प्राइमरी में 5.38 रुपए प्रति बच्चा कन्वर्जन कास्ट तय कर रखी है। इसी में बच्चों के लिए दूध का भी प्रबंध करना है। अगर सरकारी संस्था पराग से दूख खरीदा जाए तो 200 मिलीलीटर दूध की कीमत कम से कम आठ रुपए आती है। इस हिसाब से एक बार सभी बच्चों को दूध देने के लिए सवा तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे लेकिन सरकार ने एक भी पैसा इस मद में प्रावधान नहीं किया है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि असल में अखिलेश सरकार ने यह पूरी योजना सिंथेटिक दूध माफियाओं को संरक्षण देने के लिए चलाई है। पिछले दिनों फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने भी अभियान चलाकर बड़ी संख्या में सिंथेटिक और मिलावटी दूध की फैक्ट्रियां पकड़ी थीं। इन्हीं माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सपा सरकार स्कूलों में दूध बांटने की योजना लेकर आई है। सरकार बताए कि अचानक 40 लाख लीटर अतिरिक्त दूध की मांग कहां से पूरी होगी? इस दूध की शुद्धता की जांच कैसे होगी क्योंकि बच्चे तो इसे पहचान नहीं सकते? यह कैसे तय होगा कि जो दूध बच्चे पी रहे हैं वह सिंथेटिक या मिलावटी नहीं है?
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि वास्तविकता तो यह है कि जिस तरह सभी छात्रों को लैपटॉप और टैबलेट बांटने की घोषणा कर बाद में इस योजना को बंद कर लाखों छात्र-छात्राओं के साथ धोखा करने वाली अखिलेश सरकार अब मासूम बच्चों के साथ भी मजाक करने पर आमादा है।