ईद आई है तो लग जाओ गले से मेरे
ईद आई है तो लग जाओ गले से मेरे
दोस्तो आज तो बेज़ार-ए मुहब्बत न बनो
रहमते अर्श से नाज़िल हैं जहाँ पर तेरे
सज़दा-ए शुक्र हो आज़ार-ए मुहब्बत न बनो
ईद आई है तो ईमान को ताजा कर लो
मैकदा छोड़ के दुनिया में गुज़ारा कर लो
दिल के ऐवान में रौशन है जो कंदील-ए खिरद
जलवा-ए तूर का हर शै में नजारा कर लो
ईद आई है तो ऐलान-ए रफाक़त कर दो
अम्नो-ओ इंसाफ का, इखलास का परचम खोलो
बेकस-ओ बेबस-ओ बेआसरा लोगों के लिए
ज़ीस्त को ज़ीस्त करो दिल के दरीचे खोलो
सज़दा-ए शुक्र में जाते हुए कहना आरिफ
मेरे अल्लाह मेरा साज़-ए मुहब्बत सुन ले
बदलियाँ चीर के तारों को नुमाया करदे
शब् के सन्नाटे में एक बार चरागा कर दे
ईद आई है तो लग जाओ गले से मेरे
सज़दा-ए शुक्र करें मिल के गुजारिश कर लें
मेरे अल्लाह हर एक शै में तजल्ली भर दे
क्लब-ए इनसान को इनसान के काबिल कर दे
आरिफ नकवी (बर्लिन)