नई दिल्‍ली: एक रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार ऑपरेशन को लेकर उग्रवादी बौखला गए है और वह सेना और भारत सरकार से इस कार्रवाई का बदला लेने के लिए किसी बड़ी वारदात की फिराक में हैं।

खुफिया एजेसियों को इसकी भनक लगी है। लिहाजा नॉर्थ-ईस्‍ट के राज्‍यों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक उग्रवादी संगठन एनएससीएन (के) के लगभग 15-20 उग्रवादी भारतीय सीमा में घुस गए हैं। इनके निशाने पर सुरक्षा एजेंसियां और आम लोग हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कुछ उग्रवादी संगठन मिलकर भारतीय सेना से बदला लेने की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की आशंका है कि उग्रवादी फिदायीन दस्‍ते की तरह हमला कर सकते हैं।

मालूम हो कि भारतीय सेना के 21 यूनिट के करीब 70 कमांडरों के एक दल ने म्यामांर सीमा के भीतर रात के अंधियारे में लक्ष्य पर किये गये सटीक हमले में कल एनएससीएन(के) एवं केवाईकेएल उग्रवादी समूहों के 38 विद्रोहियों को मार गिराया था। इन कमांडरों को म्यामांर सीमा से लगने वाले भारतीय क्षेत्र में धुव्र हेलीकाप्टरों से उतारा गया। इसके बाद वे दो दलों में बंट गये। कमांडर असाल्ट राइफल्स, राकेट लांचर, ग्रेनेड और रात में देख सकने में सक्षम उपकरणों से लैस थे। सेना के विशेष बल के कमांडो विभाजित होने के बाद एनएसीएन (के) एवं केवाईकेएल द्वारा संचालित दो शिविरों की ओर बढ़े। माना जाता है कि ये दोनों समूह ही चार जून को घात लगाकर किये गये भीषण हमले के लिए जिम्मेदार हैं जिनमें 18 सैनिक मारे गये एवं 11 अन्य घायल हो गये।

उग्रवादियों का सफाया करने का यह निर्णय चार जून को हुए हमले के कुछ ही घंटों बाद एक बैठक में किया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जनरल सुभाग एवं अन्य उसमें मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभियान के लिए अंतिम मंजूरी दी थी तथा अभियान का तालमेल डोभाल कर रहे थे। सीमापार की गयी कार्रवाई को भारत के आतंकवाद निरोधक रख में संभावित बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इस बीच सरकार ने यह भी कहा कि आतंकवाद और आतंकी संगठनों को लेकर कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रवैया रहेगा।