स्कूलों में योग और गीता की अनिवार्यता मंज़ूर नहीं
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का दरवाज़ा खटखटाएगा
लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सरकारी स्कूलों में योग और गीता पढ़ाया जाना मंजूर नहीं और बोर्ड इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा। बोर्ड का मानना है कि सरकारी या सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूलों में योग, सूर्य नमस्कार या गीता का पाठ पढाया जाना संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन है, इसलिए बोर्ड के इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेगा।
बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य और उत्तर प्रदेश के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के स्कूलों में इसकी शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का मानना है कि गीता, योग और सूर्य नमस्कार एक तरह से सनातन धर्म के पाठ हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म विशेष से जुड़ी चीजों को पढ़ाया जाना संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन है इसलिए बोर्ड ने तय किया है कि उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की जाएगी।
अपर अधिवक्ता ने कहा कि अभी फिलहाल राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस सम्बन्ध में याचिका लम्बित है। आगामी 29 जून को इस पर सुनवाई है। वहां से यदि “रिलीफ” मिल जाता है तो उच्चतम न्यायालय जाने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन यदि लम्बी तारीख पड़ी या फैसला अनुकूल नहीं रहा तो उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
इससे एक फायदा यह भी होगा कि अलग-अलग उच्च न्यायालयों में याचिका नहीं दाखिल करनी पडेगी। गौरतलब है कि आगामी 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह निर्णय लिया है। योग दिवस पर सूर्य नमस्कार को लेकर कई मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति दर्ज करायी थी, जिसकी वजह से योग दिवस पर सूर्य नमस्कार कराए जाने का फैसला केन्द्र सरकार ने वापस ले लिया है।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही बोर्ड ने तय किया है कि वक्फ की जिन जमीनों पर मस्जिद है और वह पुरात्तव विभाग की देखरेख में है। ऎसी मस्जिदों पर नमाज पढ़ने में भी दिक्कत आती है। ऎसी मस्जिदों को बोर्ड के हवाले किए जाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की जायेगी।