जमाते इस्लामी अख़वानियों के साथ: मौलाना जलालुद्दीन उमरी
‘जमात इस्लामी हिंद की प्राथमिकताएं’ के विषय पर सेमीनार का आयोजन
लखनऊ: दुनिया ने आज अपार प्रगति कर ली है, उसे अपने कार्यों और अपने अनुभवों पर विश्वास हो गया है, दुनिया खुदा की अलौकिक शक्ति और उसकी मदद का इनकार करने लगी लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। खुदा आज भी अपने पसंदीदा बन्दों की अलौकिक मदद कर रहा है। यह विचार आज अमीर जमाते इस्लामी हिंद मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने व्यक्त किये । वह आज जय शंकर प्रसाद हॉल में ‘जमाते इस्लामी हिंद की प्राथमिकताएं’ विषय पर आयोजित सेमीनार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कुरान यह बताता है कि उस पर इमान लाकर एक आदमी बाकिरदार बनता है लेकिन दुनिया ने इस्लाम को अपना दुश्मन मान लिया है और तहजीबी लड़ाई शुरू कर दी है इसलिए वह आतंकवादी बनाकर इस्लाम और मुसलमानों का परिचय करा रहा है, और इस्लाम की मूल छवि खराब की जा रही है। महिलाओं पर मुसलमानों के अत्याचार का आरोप लगाया जाता है। लेकिन सच यह है महिलाओं पर असली अत्याचार उन्ही के द्वारा हो रहा है। औरत को उन्होने बाजार का माल बना दिया है।
लोकतंत्र का राग अलापने वाले खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार और धर्म का पालन की पूरी आजादी है। लेकिन वही लोग इस्लामी संगठनों को स्वतंत्रता नहीं देना चाहते हैं। मिस्र में मुसलमानों के साथ अत्याचार किया जा रहा है इसके बावजूद अखवानियों ने कभी बुरे व्यवहार का प्रदर्शन नहीं किया है। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि आप इख़वान का समर्थन करें।
उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को संविधान के अनुसार अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। मिश्रा आयोग की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि मुस्लिम समुदाय शिक्षा में बहुत पीछे है, यही बात कांग्रेस ने भी सर्वेक्षण करा कर पुष्टि कर दी है। कई लोग कहते हैं कि मुसलमान खुद शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रहना चाहते हैं। मौलाना ने कहा कि अगर ऐसी कोई बात है तो हम कोताही स्वीकार करते हैं लेकिन जहां शिक्षा का मामला नहीं है वहाँ भी आप हमें आगे बढ़ने नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा मौजूदा केंद्र सरकार के दो रुख हैं। गुजरात में उनका रुख कुछ और केंद्र में उनका रुख कुछ और। कहने को तो वह ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैंए लेकिन मामला यह बिल्कुल अलग है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक तत्वों को छूट दे रखी है, जो देश का माहौल खराब करना चाहते हैं। गुजरात और उड़ीसा में ईसाइयों के साथ ज्यादती हो रही है, मुसलमानों के साथ एकतरफा व्यवहार हो रहा है। कोई भी देश इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने को तैयार नहीं है।
अमीरे जमात ने इस अवसर पर कहा कि जमाते इस्लामी चाहती है कि अन्याय के खिलाफ व्यवहारिक अभिव्यक्ति हो, चाहे वह दलित हों या ईसाई हों या दबे कुचले कोई भी वंचित वर्ग के लोग हो। इस्लाम न्याय का ध्वजवाहक बनने का आदेश देता है।
इस अवसर पर मोहम्मद नईम, इंजीनियर शाहिद अली, जुबैर मलिक फलाही, मलिक फैसल फलाही, तैयब अहमद बैग, नजमुस्साकिब खान सहित भारी संख्या में जमात के सदस्य शामिल थे।