मुंबई। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और विधायक इम्तियाज़ जलील पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि पहले अवैध मस्जिदें तोड़ो, वंदे मातरम कहो, फिर उपदेश की बात करो। दरअसल एमआईएम  के  विधायक इम्तियाज जलील ने यह मांग रखी है कि सरकारी स्थानों पर नेताओ के स्मारक नहीं बनाकर निजी स्थान पर बनाएं जाएं वह भी बगैर सरकारी पैसे के।  नेताओं के नाम से केवल सरकारी अस्पताल बनाए जाने चाहिए।

जलील ने चेतावनी दी  है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह न्यायालय जाएंगे।  इस पूरे मामले में सामना का कहना है कि महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज, बाल ठाकरे और गोपीनाथ मुंडे के स्मारक बनाए जाने हैं और इसी वजह से एमआईएम के पेट में दर्द हो रहा है।

सामना का कहना है कि एमआईएम के आदर्श औरंगजेब और अफजल खान जैसे लोग हैं। उसी वजह से वह हमारे नेताओं के स्मारक बनाने का विरोध कर रहे हैं।  और अगर एमआईएम को सरकारी खजाने की चिंता है तो हज पर होने वाले सरकारी बजट का उपयोग भी सामाजिक कार्यों में करने की बात कहें। सामना ने स्पष्ट कहा है कि किसी को भी महाराष्ट्र के प्रेरणा स्थानों के संबंध में नाक घुसाने की जरुरत नहीं है।