तैराकी संघ की मनमानी के खिलाफ फूटा गुस्सा
राज्य खेल निदेशालय पर खेल से जुड़े लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन
लखनऊ। राजधानी के राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय तैराकों व तैराकी से जुड़े लोगों ने शुक्रवार को के.डी.सिंह बाबू स्टेडियम पर प्रदर्शन कर धरना दिया। धरना राज्य की तैराकी औैर उसे कथित रूप से बढ़ाने का काम करने वाली उत्तर प्रदेश स्वीमिंग एसोसिएशन में फैली गंदगी को दूर करने के मकसद से किया गया। तैराकों ने प्रदर्शन के दौरान अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन खेल निदेशक, उत्तर प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन व डिस्ट्रिक्ट स्वीमिंग एसोसिएशन को दिए। साथ ही फैसला किया कि जल्द एक प्रतिनिधि मण्डल मुख्य मंत्री, खेलमंत्री, प्रमुख सचिव खेल व खेल सचिव को ज्ञापन सौंपेगा। यही नहीं उत्तर प्रदेश तैराकी संघ की मनमानी और दादागीरी के बारे में स्वीमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया, भारतीय ओलंपिक संघ को बताया जाएगा।
पूर्व तैराकों ने बताया कि राज्य की तैराकी गर्त में जा रही है। इसका कारण उत्तर प्रदेश तैराकी संघ है। उत्तर प्रदेश तैराकी संघ में घोर परिवारवाद भारी है। कहीं भाई तो कहीं बहन, कहीं जीजा तो कहीं साले। कहीं चाचा तो कहीं भांजे जिला संघों के पदाधिकारी हैं। पिछले पचास सालों से इसी कपूर परिवार का उत्तर प्रदेश तैराकी संघ पर कब्जा है। पहले के.एन.कपूर संघ के सचिव थे। उनके देहान्त के बाद उनके बेटे रविन कपूर सचिव हो गए।
संघ का ध्यान तैराकी को बढ़ाने की तरफ नहीं रहता। वह सिर्फ खुद को मजबूत करने में लगा है। राज्य व जिलों की प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। प्रतिभाओं को आगे बढऩे का कोई प्लेटफार्म नहीं है। जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं के नाम पर ट्रायल करा दिया जाता है। कई बार मनमर्जी के मुताबिक टीम का चयन कर दिया जाता है। न कोई कै प लगता है और न ही प्रैक्टिस की सुविधा प्रदान की जाती है। खेल विभाग की समन्वय वाली प्रतियोगिता को छोड़कर राज्य संघ कोई प्रतियोगिता नहीं कराता। राज्य व जिलों की प्रतिभाएं पूरे साल में एक ही प्रतियोगिता में हिस्सा ले पाती हैं। यही कारण है कि राज्य के तैराक राष्टï्रीय चैंपियनशिपों में पदक नहीं जीत पाते। जो तैराक पदक जीतते भी हैं उनमें राज्य संघ का कोई श्रेय नहीं होता। पदक जीतने वाले तैराक अन्य राज्यों में टे्रेनिंग करते हैं।
यही नहीं राज्य संघ के पदाधिकारी जिसको चाहते हैं उसे राष्ट्रिय चै िपयनशिप में खिला देते हैं। चयन का कोई मापदंड नहीं है। चयन में कोर्ई पारदर्शिता नहीं है। चहेतों को खूब फायदा पहुंचाया जाता है। जिनका तैराकी से कोई लेना-देना नहीं उन्हें संघ का पदाधिकारी बना दिया जाता है। जिन्हें तैराकी की एबीसीडी नहीं आती वे टेक्रिकल आफीशियल बनाए जाते हैं। जिन्हें तैराकी की जानकारी नहीं होती वे टीम कोच व मैनेजर बन जाते हैं।
सभी पूर्व तैराकों को पता है कि खेल संघों में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए वे कुछ नहीं कर सकते। न ही किसी पदाधिकारी को हटा सकते हैं और न ही चयन प्रक्रिया में दखल दे सकते हैं। हम सभी इस प्रदर्शन के जरिए तैराकी संघ का दादागिरी का विरोध जता रहे हैं। लोगों को बताना चाहते हैं कि जिस संघ का जि मेदारी प्रतिभाओं का आगे लाना है वह कैसे तैराकी का बंटाधार कर रहा है।
हम सभी इस विरोध को जारी रखेंगे। संघ के कार्यक्रमों का हर मोर्चे पर विरोध किया जाएगा, हर जिला तैराकी संघों से जल्द ही बातचीत करके राज्य संघ के खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा। जहां भी राज्य संघ कोई आयोजन करेगा, उसका वहीं पहुंचकर विरोध किया जाएगा।