डाक सेवाओं के निजीकरण की साजिश का विरोध होगा: तपन सेन
डाक कर्मचारियों का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू ग्रामीण डाक सेवकों को सातवें वेतन आयोग के दायरे मे लाया जाए
लखनऊ: डाक कर्मचारियों को केवल अपनी ही नही बल्कि सभी कर्मचारियों, मजदूरों और आम जनता की लड़ाई आगे आकर लडऩी होगी। कारपोरेट घरानों की साजिश के खिलाफ समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने के लिए मजदूर संगठनों को आगे आना होगा।
अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ, तृतीय श्रेणी के राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने डाक कर्मियों से निजीकरण की साजिश का डट कर मुकाबला करने की अपील करते हुए सरकार की जन विरोधी नीतियों की पुरजोर मुखालफत करने की बात कही । नेशनल फेडरेशन ऑफ पोस्टल इंप्लाईज (एनएफपीई) से संबद्ध, डाक कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन के इस अधिवेशन का उद्घाटन सीटू के महासचिव तपन सेन ने पूर्व सासंद व सीपीएम नेत्री सुभाषिनी अली की मौजूदगी में किया।
अपने संबोधन में तपन सेन ने कहा कि पुर्नगठन के नाम पर पिछले दरवाजे से डाक सेवाओं के निजीकरण की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले डाक सेवाओं को बेहतर और आधुनिक बनाने के नाम पर सरकारी नियंत्रण वाली कंपनी बनाने का प्रस्ताव है बाद में उसका विनिवेश कर निजीकरण करने का प्रयास होगा। दूरसंचार सेवाओं का उदाहरण देते हुए सेन ने कहा कि यह हम सबकी के संगर्ष का नतीजा है कि सरकार अब तक बीएसएनएल का विनिवेश नही कर पायी है जबकि इसके कई प्रयास किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार दूरसंचार की ही कंपनियों एमटीएनएल का विनिवेश कर चुकी है जबकि विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) को बेंच चुकी है। तपन सेन ने कहा कि जिन हाथों में सत्ता है वो लोकतंत्र, समूचे तंत्र और यहां तक कि देश के निजीकरण की साजिश रच रहे हैं जिसके खिलाफ श्रमिक संगठनों, मजदूरो, आमजन को एकजुट होना होगा। सीपीएम की सुभाषिनी अली ने कहा कि नवउदारवाद के इस युग में सबसे कम गरीबों की सुनी जा रही है। ऐसे में श्रमिक संगठनों का दायित्व है कि गरीबों की दिक्कतों को समझाए और शासक वर्ग तक ले जाए और उसे दूर करने के लिए शासक वर्ग को मजबूर करे। उनका कहना था कि जात-पात मजदूरों की एक में
खतरा है और इसे दूर किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने ज्यादा से महिलाओं को भी श्रम संगठनों से जोडऩे की वकालत की। सुभाषिनी ने कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है और इसके साथ ही कमाने वालों पर बोझ भी बढ़ रहा है। ग्रामीण डाक सेवकों को सातवें वेतन आयोग की परिधि में लाने का सर्मथन करते हुए उन्होंने कहा कि आज भी गांंवों तक लोगों की खबर पहुंचाने में इनकी सबसे बड़ी भूमिका है। अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ने भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए कहा कि समाज में बदलाव इन्हीं से आएगा।
भाजपा नेता व विधान परिषद सदस्य महेंद्र सिंह ने डाक कर्मचारियों की मांगों से सहमति जताते हुए उनके लिए दिल्ली में सरकार से बातचीत करने की पेशकश की।सीसीजीईडब्लू के महासचिव एम कृष्णन ने डाक कर्मचारियों के साथ ही केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकारों के असहयोगात्मक रवैये का मुद्दा उठाते हुए आने वाले दिनों में संघर्ष तेज करने को कहा।
एनएफपीई के महासचिव आरएन पराशर ने केंद्रीय व डाक कर्मचारियो की ग्यारह सूत्री लंबित मांगों के त्वरित निराकरण के लिए संघर्ष कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील करते हुए एक जनवरी 2014 से से मंहगाई भत्ते का मूल वेतन में विलय, सभी डाक कर्मचारियों को अंतरिम राहत प्रदान करने, ग्रामीण डाक सेवकों को सातवें वेतन आयोग की परिधि में लाकर उनका वेतन निर्धारण करने, नयी पेंशन योजना समाप्त कर सभी कर्मचारियों हेतु पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने जैसी मांगे उठायी।
इससे पहले अधिवेशन में आए सभी वक्ताओं व अतिथियों का स्वात समिति के महासचिव वीरेंद्र तिवारी ने स्वागत किया। कल अधिवेशन में आधुनिक युग में डाक सेवाएं विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया है।