आरबीआई ने दी बुरे दिन आने की चेतावनी
मुंबई। आरबीआई ने कहा है कि सेवा कर में बढ़ोतरी और खराब मानसून से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मंहगाई में बढ़ोतरी होगी और अगले वर्ष जनवरी तक यह छह प्रतिशत पर पहुँच जाएगा। अप्रैल में चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में इसके 5.8 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि, वित्त वर्ष 2015-16 की दूसरी दि्वमासिक ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, “भारतीय मौसम विभाग के दक्षिण पश्चिम मानसून के दीर्घकालीन औसत से सात प्रतिशत कम रहने के अनुमान के कारण खरीफ मौसम के लिए परिदृश्य धूमिल है। अलनीनो के आने की पुष्टि होने से स्थिति और खराब हुई है।”
सेवा कर के बारे में राजन ने कहा “इसके साथ ही सेवा कर के बढ़ाकर 14 प्रतिशत किए जाने से मंहगाई पर पड़ने वाले प्रभाव के मद्देनजर मंहगाई अनुमान में बढ़ोतरी की गयी है।” उन्होंने कहा कि “यदि खाद्य प्रबंधन बेहतर रहा तो सकारात्मक बेस अफेक्ट के कारण अगस्त तक नये आधार वर्ष 2011-12 पर महंगाई दर में कमी आयेगी, लेकिन इसके बाद यह बढ़नी शुरू होगी और जनवरी 2016 में बढ़कर छह प्रतिशत तक पहुँच सकती है जो इस वर्ष सात अप्रैल के अनुमान से अधिक है।”
उन्होंने कहा कि अल्पकालिक नीतिगत दरों में कटौती सरकारी नीतियों के लिए माहौल तैयार करने में मददगार होगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश के साथ ही निजी निवेश बढ़ाने में मदद मिल सकती है। मध्यावधि में आपूर्ति की बाधाओं को कम करना महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि मंहगाई लगातार चौथे महीने कम हुई है और सब्जियों की महँगाई भी कम हुई है। असमय बारिश से रबी की फसल को हुए नुकसान का प्रभाव भी बहुत ज्यादा नहीं रहा है। वहीं, दूसरी ओर चिंता की बात यह है कि उपभोग में, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में, कमी आयी है। पेट्रोल तथा डीजल समेत ईंधनों की मंहगाई लगातार चौथे महीने बढ़ी है।
अप्रैल में कंपोजिट मैनेजर्स सूचकांक, आर्थिक धारणा तथा उपभोक्ता विश्वास में कमी आयी है। राजन ने ब्याज दरों में ज्यादा कटौती नहीं करने का एक और कारण यह भी बताया कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आयी है। कृषि क्षेत्र में भी सरकार के ताजा अनुमान के अनुसार, अनाज उत्पादन में पाँच प्रतिशत कमी आने की आशंका व्यक्त की गयी है। हालाँकि उन्होंने कहा कि महँगाई दर नियंत्रण में रखने में मजबूत खाद्य नीति तथा प्रबंधन महत्वपूर्ण होगा।