क़लम के सच्चे सिपाही थे मुंशी द्वारिका प्रसाद ‘उफ़क़’: नवनीत सहगल
प्रमुख सचिव सूचना ने किया नया दौर के ‘मुंशी द्वारिका प्रसाद उफ़ुक़ विशेषांक’ का विमोचन
राज्य सरकार उर्दू शायरों और अदीबों के साहित्य से पाठकों को वाकिफ कराने के लिए प्रयासरत
लखनऊ: प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल ने कहा कि मुंशी द्वारिका प्रसाद उफ़ुक़ की शायरी, गंगा-जमुनी तहजीब का एक ऐसा प्रकाश स्तम्भ है, जिसकी रौशनी से सभी साहित्य प्रेमी लाभान्वित हो रहे हैं। उर्दू भाषा को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाते हुए मुंशी जी ने शायरी और पत्रकारिता के नये आयाम से पाठकों को परिचित कराया।
श्री सहगल आज यहां लाल बहादुर शास्त्री भवन, एनेक्सी स्थित मीडिया सेन्टर में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0 द्वारा प्रकाशित उर्दू मासिक पत्रिका ‘नया दौर’ के ‘मुंशी द्वारिका प्रसाद उफ़ुक़ विशेषांक’ का विमोचन करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस विशेषांक का हिन्दी संस्करण भी शीघ्र प्रकाशित कराया जाएगा। मुंशी जी ने महाभारत, गीता और रामायण जैसे महाकाव्यों का उर्दू कविता में अनुवाद कर एक नई परम्परा की शुरुआत की थी। उन्होंने एक पाक्षिक अखबार ‘नज़्म’ का सम्पादन भी किया था, जिसमें सारी खबरें उर्दू काव्य के रूप में प्रकाशित होती थीं। इसके माध्यम से उफुक़ लखनवी ने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जन चेतना पैदा करने का काम किया। वे सही मायने में कलम के सिपाही थे। मुंशी जी ने विभिन्न अंग्रेजी उपन्यासों का उर्दू में अनुवाद भी किया। उनकी ग़ज़लें और अन्य कविताएं आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। मुंशी जी को अपने लखनवी होने पर गर्व था, जिसका उल्लेख उनकी शायरी में जगह-जगह मिलता है।
प्रमुख सचिव सूचना ने यह भी कहा कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के लिए इस तरह के प्रयास जरूरी हैं, ताकि मौजूदा पीढ़ी अपने अतीत से जुड़ी रहें। साथ ही, प्रदेश के गुमनाम शायर और साहित्यकारों की प्रतिभाओं को सामने लाना भी समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही ‘नया दौर’ का ‘अली बिरादरान नम्बर’ भी प्रकाशित किया जाएगा। इसके अलावा हिन्दी पाठकों के लिए ‘मज़ाज़’, ‘ख़ुमार बाराबंकवी’, ‘इंकि़लाब-1857’, ‘उर्दू पत्रकारिता’ तथा ‘शकील बदायूनी विशेषांक’ के अनुवाद का कार्य भी जारी है। उन्होंने कहा कि नया दौर के विशेषांक अपनी स्तरीय पाठ्य सामग्री की बदौलत हमेशा से साहित्य जगत में चर्चा का विषय रहे हैं और पाठकों ने उन्हें भरपूर सराहा है। उन्होंने कहा कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा उर्दू मीडिया को शासन की विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों और नीतियों की जानकारी उर्दू भाषा के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रही है, ताकि वे उसका सदुपयोग कर सके।
इस अवसर पर सूचना सलाहकार ए0एम0 खान ने ‘नया दौर’ के मुंशी द्वारिका प्रसाद उफ़ुक़ विशेषांक के महत्व को उजागर करते हुए मुंशी जी की साहित्यिक यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उर्दू शायरों और अदीबों के साहित्य से पाठकों को वाकि़फ़ कराने का महत्वपूर्ण कार्य अंजाम दे रही है।
प्रमुख सचिव सूचना ने मुंशी द्वारिका प्रसाद की सुपौत्री डाॅ0 कोमल भटनागर का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्हीं की प्रेरणा से इस विशेषांक को मूर्तरूप दिया जाना सम्भव हो सका है। इस अवसर पर उन्होंने ‘नया दौर’ के सम्पादक डाॅ0 वज़ाहत हुसैन रिज़वी को इस विशेषांक के कुशल सम्पादन के लिए साधुवाद देते हुए अपेक्षा की कि वे और उनके सहयोगी भविष्य में भी इसी प्रकार अपनी क्षमताओं से विभाग को खास पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि उर्दू मासिक पत्रिका नया दौर का प्रकाशन विगत 69 वर्षाें से सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
सम्पादक ‘नया दौर’ डाॅ0 वज़ाहत हुसैन रिज़वी ने कहा कि यह कार्य प्रमुख सचिव सूचना तथा निदेशक सूचना आशुतोष निरंजन के सार्थक मार्ग दर्शन में सफलतापूर्वक सम्पादित हो सका है। उन्होंने विशेषांक में प्रकाशित सूचना निदेशक के संदेश का उल्लेख किया। इस संदेश में श्री निरंजन ने मुंशी द्वारिका प्रसाद उफुक़ लखनवी के साहित्यिक और पत्रिकारिता की सेवाओं के सिलसिले में सूचना विभाग की ओर से मासिक ‘नया दौर’ का उफुक़ नम्बर प्रकाशित करने का अहम निर्णय लिया गया। ‘उफुक़’ लखनवी तहज़ीब का सही अर्थाें में प्रतिनिधित्व करते हैं। आगे भी ‘नया दौर’ इसी तरह के विशेषांक निकालता रहेगा, ताकि उर्दू साहित्य और भाषा का विकास होता रहे।
डाॅ0 कोमल भटनागर ने इस अवसर पर बताया कि मुंशी द्वारिका प्रसाद उफुक़ की तमाम रचनाएं पटना की खुदा बख्श लाइब्रेरी और अन्य संस्थानों में उपलब्ध हैं। ‘नया दौर’ के विशेषांक के प्रकाशन से जहां एक ओर इस महान शायर पर शोध करने वालों को उपयोगी जानकारी मिलेगी वहीं दूसरी ओर उफुक़ के साहित्यिक योगदान के सम्बन्ध में पाठकों में जिज्ञासा भी बढ़ेगी, जो भविष्य में और शोध किए जाने का आधार बनेगी। उन्होंने विशेषांक के प्रकाशन के लिए प्रमुख सचिव एवं अन्य अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
विमोचन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए सुश्री परवीन तलहा ने कहा कि डाॅ0 कोमल भटनागर ने अपने पितामह के साहित्यिक योगदान को सामने लाने के लिए रिटायरमेन्ट के बाद उर्दू भाषा सीखी। इसकी बदौलत वे तमाम किताबों और दस्तावेजों में मौजूद उफुक़ लखनवी की रचनाओं को खोजने में कामयाब हुईं। उन्होंने विशेषांक के प्रकाशन के लिए सूचना निदेशक की भी प्रशंसा की।
अपर निदेशक, सूचना डाॅ0 अरविन्द कुमार चौरसिया ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विभाग उर्दू के विकास के प्रति गम्भीरता से प्रतिबद्ध है।
इस मौके पर उपनिदेशक सूचना सैय्यद अमजद हुसैन, सहायक निदेशक यशोवर्धन तिवारी सहित विभागीय अधिकारी व कर्मचारी, साहित्य प्रेमी एवं मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे।