पति की कृषि भूमि में पत्नी को स्वतः मिले आधा मालिकाना हक: ज़रीना उस्मानी
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने दिए राजस्व संहिता की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष को महिला सशक्तिकरण के लिए कुछ सुझाव
लखनऊ: प्रदेश में तैयार की जा रही राजस्व संहिता-2015 में सभी अविवाहिता, शारीरिक रूप से अक्षम, अनाथ, विधवा, परित्यक्तता, तलाकशुदा महिलाओं को ‘‘पृथक परिवार‘‘ का दर्जा दिलाये जाने का सुझाव उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष जरीना उस्मानी ने आज यहां राजस्व परिषद के सभागार में इस संहिता की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष राजबहादुर सिंह यादव को एक प्रत्यावेदन के रूप में सौंपा। इस संबंध में यह भी सुझाव दिया गया है कि इन्हें ‘‘पृथक परिवार‘‘ का दर्जा देने के साथ-साथ इन्हें ‘‘भूमिहीन किसान‘‘ का दर्जा भी दिया जाय तथा राज्य सरकार की ओर से इन्हें कम से कम दो एकड़ जमीन भी जीवन निर्वाह के लिए दी जाय। राज्य सरकार द्वारा वन विभाग की या अन्य विभागों की अनुपयोगी भूमि पर इन महिलाओं को मालिकाना हक योजनाबद्ध तरीके से दिलाया जाए।
इस अवसर पर आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री सुमन यादव एवं श्रीमती जानकी पाल तथा समस्त सदस्य मौजूद थे। इसके अलावा ड्राफ्टिंग कमेटी के संयोजक श्री भोलानाथ यादव, सदस्य सचिव श्री सुनील कुमार चैधरी व सदस्य श्री भीष्म लाल वर्मा भी मौजूद थे।
महिला आयोग द्वारा अपने प्रत्यावेदन में यह भी सुझाव दिया गया कि विवाह पूर्व पुत्री का कृषि भूमि में जो मालिकाना हक बनता है उसे उसके विवाह के बाद भी बरकरार रखा जाय अथवा विवाह की तिथि से पति की कृषि भूमि में स्वतः पत्नी को आधे के बराबर का मालिकाना हक प्राप्त कराया जाय।
एक अन्य सुझाव में यह भी कहा गया है कि ऐसी महिलाएं जिन्हें पैतृक कृषि भूमि पर विरासत के तौर पर जो मालिकाना हक हासिल है उसे महिला की मृत्योपरांत उसके पिता के वंशजों को हस्तान्तरित करने के बजाय उसकी सन्तानों को ही हस्तान्तरित किया जाय।