अखिलेश के विकास के दावे झूठे और भ्रामक: राजीव यादव
गोलियों और लाठियों के सहारे प्रदेश में चल रहा है विकास का समाजवादी फार्मूला- रिहाई मंच
लखनऊ। रिहाई मंच ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस दावे को झूठा और भ्रामक बताया है जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार ने किसानों पर बिना लाठी-गोली चलाए ही छः हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित कर ली है। मंच ने कहा कि जिस प्रदेश में उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय से इन तीनों भाषाओं की अनिवार्यता खत्म कर दी गई हो वहां पर मुलायम सिंह के नाम पर उर्दू भाषी छात्रों के लिए तैयारी संस्थान खोलना एक भद्दा मजाक है।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जिस तरीके से उत्तर प्रदेश की भूमि अधिग्रहण नीति को समाजवादी फार्मूला बता रहे हैं उसे प्रदेश की जनता ने सोनभद्र के कनहर में देख लिया है। जहां इसी समाजवादी फार्मूले के तहत आदिवासियों पर लाठियां और गोलियां बरसाई गईं। सपा सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में यह वादा किया था कि वह किसानों की भूमि का 6 गुना मुआवजा देगी पर उसने इससे पीछे हटते हुए इसे 4 गुना से अधिक न देने की नीति को अपनाया। प्रदेश में हुए जबरन भूमि अधिग्रहणों में किसानों को 2 गुने से भी कम मुआवजा दिया गया है, ऊपर से मुआवजे के नाम पर उनसे रिश्वत भी वसूली गई है। उन्होंने कहा कि किसान वर्ष घोषित जिस प्रदेश में मार्च के बाद 550 से अधिक किसानों की आत्महत्या और दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई हो उस प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इसे विकास बताना और निवेशकों को मुनाफाखोरी करने के लिए न्योता देना बताता है कि यूपी गुजरात की राह पर है। ठीक इसी तरह गुजरात में भी किसानों की भूमि हड़पी गई और उनको उत्पीडि़त करने वाली सरकार ने विकास का झूठा विज्ञापन करके देश को गुमराह किया था। ठीक उसी रास्ते पर अखिलेश सरकार भी चल रही है।
रिहाई मंच के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि जिस तरह से मुलायम सिहं यादव के नाम पर उर्दू भाषी छात्रों के सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए संस्थान खोला गया और उसी लखनऊ में उर्दू, अरबी और फारसी विश्वविद्यालय से इन तीनों भाषाओं की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई वह साफ करता है कि सपा सरकार अब सिर्फ झूठे प्रोपोगंडा के भरोसे ही रह गई है। ठीक इसी तरह जब हाशिमपुरा का फैसला आया तो उसके बाद मेरठ में मुलायम सिंह के नाम पर एक शिक्षण संस्थाना खोला गया। उन्होंने कहा कि सपा सरकार कुछ संस्थानों के नाम पर मुस्लिम समाज के इंसाफ के सवाल को रद्दी की टोकरी में डालना चाहती है ठीक भाजपा की तरह कि जो हुआ उसे भूल जाओ। अगर सपा सरकार सचमुच मुस्लिमों के हित में कार्य करना चाहती है तो उसने आज तक क्यों नहीं सच्चर कमेटी की सिफारिशों को प्रदेश में लागू किया। सरकार बार-बार झूठ बोलती है कि उसने सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू कर दिया है जबकि सरकार द्वारा सच्चर कमेटी की संस्तुतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु अभी तक कोई नियम/विनियम/शासनादेश आदि निर्गत नहीं किया गया है।