विफलता से सीखने की सोच मिलती है:मोदी
जगदलपुर. माओगढ़ में विकास कार्यो का पिटारा लिए पहुुंचे पीएम मोदी जवांगा के एजुकेशन सिटी में आदिवासी विद्यार्थियों से रूबरू हुए। इस दौरान विद्यार्थियों ने पीएम मोदी से कई अहम सवाल पूछे। जिन पर मुस्कुराकर मोदी ने बड़ी सहजता से जवाब दिया। बस्तर के कस्तूरबा विद्यालय की छात्रा ने पीएम से सवाल किया कि अगर आप राजनीति में नहीं होते तो क्या होते ?
सवाल के जवाब पर मोदी ने कहा कि अगर मैं राजनीति में नहीं होता तो एक बालक होता। बालक रहने में सबसे ज्यादा आनंद होता है। जिम्मेदारी और काम के तनाव को लेकर प्रश्न में मोदी ने कहा कि मैं काम के घंटों को नहीं गिनता, जीतना काम करता हूं मुझे उतना ही संतोष मिलता है।
सक्षम आदिवासी विद्यालय के छात्र किशन के जीवन में सबसे बड़ी सफलता के श्रेय के प्रश्न के जवाब में मोदी ने कहा कि जीवन की सफलता-असफलता को तराजू में नहीं तौलना चाहिए। विफलता से सीखने की सोच मिलती है। सफलता के राज पर पीएम ने कहा कि सोच स्पष्ट होगी, तो विफलता कभी नहीं मिलेगी।
एक छात्र के जीवन की प्रेरणादायक घटना के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि किसी घटना को देखने का नजरिया होना चाहिए, नजरिया से ही प्रेरणा मिलती है। लक्ष्य के बारे में मोदी का कहना है कि देश की सेवा करना जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है।
बच्चों का जवाब दे रहे पीएम मोदी ने इसी बीच झारखंड़ के आदिवासी बालिकाओं का उल्लेख किया। पीएम मोदी ने कहा कि जीवन में खेलकूद का बड़ा महत्व है। किसी को खिलाड़ी बनना है, तो किसी को बाबू। हमें बनने के कम करने के ज्यादा सपने देखने चाहिए। मुझे भी बड़े खिलाड़ी बनाने की इच्छा होती है।