प्रदेश में लेखपालों के पांच हज़ार पदों का होगा सृजन: मुख्य सचिव
अभियान चलाकर आम आदमी बीमा योजना का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाय: आलोक रंजन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने निर्देश दिये हैं कि प्रदेश में लेखपालों की कमी को दृष्टिगत रखते हुये 05 हजार और पद सृजित करने हेतु कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित कराते हुये वर्तमान में रिक्त 07 हजार एवं सृजित होने वाले 05 हजार पदों अर्थात 12 हजार पदों पर भर्ती की शीघ्र परीक्षा आयोजित कराकर चयन प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ नियमानुसार यथाशीघ्र पूर्ण करायी जाय। उन्होंने कहा कि कानूनगो पद हेतु पूर्व से सृजित 2400 पदों के अतिरिक्त 1308 पदों की स्वीकृति तत्काल निर्गत कर नियमानुसार प्राविधानों के तहत पदोन्नति कोटा में आने वाले पदों पर यथाशीघ्र पदोन्नति की प्रक्रिया प्रारम्भ करा दी जाय। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग के माध्यम से 625 कानूनगो पद हेतु भेजे गये अधियाचन की भर्ती की कार्यवाही यथाशीघ्र पूर्ण कराने हेतु आयोग से अनुरोध किया जाय। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित कराया जाय कि नायब तहसीलदार, कानूनगो आदि पदों पर विभागीय प्रोन्नति कोटा नियमानुसार यथाशीघ्र पूर्ण कराकर पात्र कर्मियों को आगामी 02 माह में पदोन्नत किया जाय। उन्होंने कहा कि आगामी 18 मई को मा0 मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में आयोजित विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में प्रदेश के मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के राजस्व न्यायालयों में लम्बित राजस्व वादों की समीक्षा भी की जायेगी। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित अधिकारियों को प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित कराना होगा कि उनके राजस्व न्यायालयों में लम्बित वादों का निस्तारण पारदर्शिता के साथ यथाशीघ्र कराया जाय।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में राजस्व विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विगत दिनों प्रदेश के किसानों को हुये नुकसान की मदद हेतु भारत सरकार को भेजे गये मेमोरेण्डम रुपया 7500.89 करोड़ की स्वीकृति हेतु अनुस्मारक पुनः भेजा जाय। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अपने बजट से प्रदेश के आपदा से प्रभावित किसानों के सहायतार्थ आवंटित धनराशि 1435.57 करोड़ रुपये का शत-प्रतिशत वितरण यथाशीघ्र सुनिश्चित कराया जाय। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल, 2015 तक 1046.32 करोड़ रुपये की धनराशि किसानों के मध्य वितरित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 उच्च न्यायालय में योजित वादों में राज्य सरकार की ओर से पैरवी किये जाने हेतु जनपद और मण्डल स्तर/राजस्व परिषद स्तर पर भी नामित नोडल अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा अवश्य की जाय, ताकि विभाग की ओर से मा0 न्यायालयों में लम्बित वादों की पैरवी में कमी न होने पाये।
श्री रंजन ने कहा कि राजस्व न्यायालयों पर कम्प्यूटराइजेशन शत-प्रतिशत हो जाने के फलस्वरूप पुराने लम्बित वादों के निस्तारण के कार्यों में तेजी लायी जाय। उन्होंने कहा कि मा0 राजस्व न्यायालयों के वादों को पोर्टल पर अद्यतनीकृत किये जाने की समीक्षा नियमित रूप से अवश्य की जाय। उन्होंने कहा कि भू-मानचित्र (शजरा) का डिजिटाइजेशन एवं कम्प्यूटराइजेशन का कार्य प्रदेश के 05 जनपदों में पूर्ण हो जाने के फलस्वरूप आवश्यकतानुसार धनराशि की व्यवस्था कराकर आगामी जून, 2015 तक प्रदेश के समस्त जनपदों में भू-मानचित्र (शजरा) का डिजिटाइजेशन एवं कम्प्यूटराइजेशन का कार्य अवश्य पूर्ण करा लिया जाय। उन्होंने कहा कि कृषक दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 में 815.29 करोड़ का आवंटन जनपदों को किया गया था, जिसके अन्तर्गत अधिकतम 05 लाख रुपये की दर से 16,306 लाभार्थियों को लाभान्वित कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित कराया जाय कि कोई भी पात्र लाभार्थी लाभान्वित होने से छूटने न पाये।
श्री रंजन ने कहा कि आम आदमी बीमा योजना का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराकर ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को लाभान्वित कराने हेतु अभियान चलाया जाय। उन्होंने कहा कि मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों का दायित्व निर्धारित किया जाय कि उनके सम्बन्धित मण्डल एवं जनपद में योजनान्तर्गत पात्र श्रमिक लाभान्वित होने से छूटने न पायें। उन्होंने कहा कि पात्र लाभार्थी छूटने पर सम्बन्धित अधिकारियों/कर्मचारियों की जिम्मेदारी नियत करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाय। उन्होंने कहा कि तहसीलों के कार्यों को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित कराने हेतु तहसील की भौतिक अवस्थापनाओं का विकास किये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि चकबंदी विभाग के कार्यों में तेजी लाने हेतु रिक्त पदों पर आवश्यकतानुसार तैनाती किये जाने हेतु सुविचारित प्रस्ताव यथाशीघ्र प्रस्तुत किया जाय। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाय कि जिन जनपदों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है, सम्बन्धित जनपदों में किसानों का शोषण न होने पाये।