यमन पर सऊदी आक्रामकता के खिलाफ विश्व समुदाय आवाज उठाये
गोल मेज़ सम्मेलन में बुद्धिजीवियों ने हमलों को अमानवीय बताया
नई दिल्ली: युवा क्रांति, नई दिल्ली द्वारा एनडीए तिवारी भवन आईटीओ में आज एक गोलमेज सम्मेलन ‘यमन की मौजूदा स्थिति और साम्राज्यवादी ताकतों के नापाक महत्वाकांक्षा’ के विषय पर आयोजित किया गया। जिसमें इस्लामिक गणराज्य ईरान के राजदूत डा गुलाम रजा अंसारी ने क्षेत्र में जारी भ्रष्टाचार और युद्ध के वातावरण के लिए अमेरिकाए इजरायल और सऊदी अरब को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अमेरिकी नीति मध्य पूर्व में पूरी तरी विफल हो चुकी है। क्षेत्र में आतंकवाद के लिए साम्राज्यवादी शक्तियां लगातार प्रयास कर रही हैं जबकि वह पूरी तरह से इराक़ और सीरया के मामले में शिकस्त खा चुके हैं। उन्होंने कहा कि आज यमन पर हमला अमेरिका और इजरायल के हितों को पूरा करने के लिए है। इस हमले के द्वारा यमन जनता को राजनीतिकए आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से कमजोर किया जा रहा है।
पूर्व विदेश सचिव मचकनद दुबे ने कहा कि कहा जा रहा है कि यमन के मामले में ईरान हस्तक्षेप कर रहा है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है बल्कि यह युद्ध यमन जनता के अधिकारों की लड़ाई है जिसे खुद यमन वासी लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने यमन की यात्रा हैए यमन एक ऐतिहासिक देश है और जैदी हवसी 1200 साल से वहां रहते आए हैं। इससे पहले सउदी अरब को उनसे कभी कोई खतरा नहीं हुआ यह केवल एक प्रोपगंडा है क्यों की सऊदी अरब यमन की लड़ाई में बुरी तरह फंस चुका है।
पूर्व सांसद हन्नान मुल्ला ने कहा कि साम्राज्यवादी ताकतें अपने हितों को प्राप्त करने के लिए एक के बाद एक देश को युद्ध की आग में ढकेल रही हैं। जिससे वह एक तरफ अपने हथियारों को उन देशों को बेच रही है और दूसरी ओर उन देशों के प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और गैस पर अपना कब्जा जमा रही है। उन्होंने कहा कि पूरा मध्य पूर्व अमेरिकी राजनीति का शिकार है।