प्रकृति को चित्रों में उतारना बेहद कठिन काम: राम लखन सिंह
छायाकार आदित्य हवेलिया की वन्यजीव छायाचित्र प्रदर्शनी का समापन
लखनऊ। नदी, जंगल और जीवजगत प्रतिक्षण नया रूप ले लेता और उसे एक निराले रूप में छवियों में उतारना भी एक बेहद कठिन काम है।’
कलास्रोत आर्ट गैलरी में चल रही छायाकार आदित्य हवेलिया की वन्यजीव छायाचित्र प्रदर्शनी का समापन करते हुए उक्त उद्गार नीति आयोग के सदस्य व पूर्व प्रमुख वन संरक्षक रामलखन सिंह नेे व्यक्त किये। उन्होंने वैज्ञानिक प्रगति के दौर में भविष्य में सुखद पर्यावरण में मानव जीवन की कामना करते हुए कहा कि प्रकृति के इतने अनसुलझे रहस्य हैं कि उनमें से अबतक हम बमुश्किल एक प्रतिशत चीजों को ही खोज पाए हैं और बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है।…मानवीय जिज्ञासा ही उसे नये प्रयोगों के संग ही प्रकृति और वन्यजीवों के करीब लाती हैं, जहां छायाचित्रों में उतरे जीवों के दुर्लभ क्षण हम कैद कर पाते हैं। उन्होंने छायाकार आदित्य हवेलिया के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। आदित्य ने उन्हें अपना उतार एक फ्रेम्ड चित्र भी भेंट किया। पीआर पाण्डेय के संचालन में चले समापन समारोह में प्रदर्शनी के मुख्य संयोजक मनोज एस चंदेल ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि आदित्य हवेलिया के चित्रों की प्रदर्शनी आगे हमें अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर भी दिखाई देगी। साथ ही 17 से 27 दिसम्बर तक होने वाले लखनऊ पुस्तक मेले में आदित्य के छायाचित्रों की काफी टेबल बुक का विमोचन होगा।
उत्तरप्रदेश पर्यटन निगम के सहयोग से हो रही फोर्स वन द्वारा संयोजित आदित्य हवेलिया की कलास्रोत दीर्घा में लगी इस बहुप्रशंसित छायाचित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन 18 अप्रैल को छायाकारों और कलाकारों की उपस्थित में प्रसिद्ध छायाकार अनिल रिसाल सिंह व प्रमुख वन संरक्षक रूपक डे ने किया था। इस प्रदर्शनी में केन्या, तंजानिया इत्यादि अफ्रीेकी देशों के साथ ही भारतीय वनों में रहने वाले शेर, चीते, तेंदुए, हाथी, शुतुरमुर्ग आदि पशु-पक्षियों के लगभग 50 अत्यंत जीवंत चित्र प्रदर्शित थे। इस अवसर पर अनुराग डिडवानिया, फैय्याज हुसैन, जगदीश जिंदल, छायाकार त्रिलोचन एस कालरा, राजीव मिश्र, ज्योति किरन सहित बड़ी तादद में कलाप्रेमी उपस्थित थे