नई दिल्ली। जर्मनी के बाद अब इंग्लैंड ने गोपनीय बैंक डाटा सम्बंधी नियमों का उल्लंघन करने और राजनयिक चैनल के जरिए गुप्त बैंकिंग डिटेल्स हासिल करने पर भारत के विदेश मंत्रालय के समक्ष औपचारिक विरोध दर्ज कराया है। जर्मन अधिकारियों ने उस तरीके पर आपत्ति की है जिसमें एलजीटी बैंक, लिकटेंस्टीन के 18 भारतीय खाताधारकों के नाम सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए और उनका बाद में सार्वजनिक रूप से खुलासा किया गया।

पिछले महीने यूके के अधिकारियों ने एक भारतीय नेवी के एक रिटायर्ड अधिकारी द्वारा किए गए लेनदेन का ब्यौरा सार्वजनिक करने पर विरोध दर्ज कराया है। सूत्रों के अनुसार दोनों ही मामलों में दोहरे कराधान समझौते के जरिए सूचनाएं एकत्रित की गईं। इस समझौते पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हुए हैं। समझौते में प्रावधान है कि इन सूचनाओं का उपयोग केवल अघोषित सम्पत्ति और कर संग्रहण के लिए किया जाएगा।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यह एक गम्भीर समस्या है। विशेषकर हमारे पास यूके में संदर्भों के बड़ी संख्या में कागजात हैं। हम दोनों देशों का यह संदेह दूर करने का प्रयास कर रहे हैं कि दोनों ही मामलों में खुलासा हमारे द्वारा नहीं किया गया। अखबार के अनुसार सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने भी सरकार को इस विरोध के बारे में बताया है और सलाह दी है कि विदेशी बैंक के खाताधारों की पहचान और डाटा किसी के साथ आदान- प्रदान नहीं किए जाने चाहिए।