मायावती को किसानों की हित का बात करने का हक नहीं
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने मायावती को किसान विरोधी बताते हुए आज कहा कि मायावती को किसानों की हित का बात करने का हक नहीं है। भाजपा प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मायावती के नेतृत्व में बसपा सरकार के दौरान सबसे ज्यादा अत्याचार किसानों पर हुए। टप्पल, बादलपुर तथा आगरा एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण तथा किसानों की अधिग्रहित भूमि के मुअवाजे को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में पुलिसिया बर्बर लाठी चार्ज को किसान अभी तक भूला नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मायावती न तो दलितों की हितैषी है न किसानों की। सत्ता के लिए दलित हित की मसीहा बनने वाली मायावती राजनीति से सन्यास लेने की बात तो करती है लेकिन क्या वो यह बतायेगी कि उनके भाई की 2000 करोड़ की कम्पनियां कहा से खड़ी हो गयी ? हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों के खेत-खलिहान से मायावती का कभी वास्ता नहीं रहा। उन्होंने तो कान्क्रीट व पत्थर के जंगल खडे किये। बसपा के किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पूरे प्रदेश की अनेक सरकारी/सहकारी चीनी मिलों को उद्योग पतियांे के हाथ में कोडि़यो के दाम बेचकर गन्ना किसानों को रूलाने वाली मायावती और बसपा के लोग किस नैतिक बल को लेकर किसान आंदोलन करेगे ? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मायावती अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में न तो दलितों की चिंता की न किसानों व बेरोजगारों की। बल्कि चीनी मिलों पूंजीपतियों के हाथ बेचकर हजारों चीनों मिल कर्मियों के पेट पर लात मार दिया था। मायावती को केवल पोन्टी चढ्ढा और जे0पी0 ग्रुप की कम्पनियों की चिंता थी।
प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों की मन की बात सुनने सलाह देने वाली बसपा सुप्रीमों को पहले अपने शासनकाल के क्रिया कलापों और अपनी कार्यशैली में झांककर देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मायावती के शासनकाल में जनता और किसान तो दूर बसपा के विधायक तक अपने मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाते थे। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो जन-जन की बात करते है और जन-जन की विकास की चिंता करते है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि असलियत ये है कि सपा सरकार और बसपा दोनों ही किसान विरोधी है। मायावती ने यमुना एक्सप्रेस वे के लिए जमीन अधिग्रहण में जे.पी. ग्रुप का हित साधा और किसानों को लाठियां मारी तो दूसरी तरफ सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह की सरकार ने दादरी में किसानों की हजारों एकड़ जमीन रिलायंस ग्रुप को दे दिया था। दोनों कार्यकाल में किसान पीडि़त रहा और अब जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की केन्द्र सरकार किसानों की भलाई के लिए काम करना चाहती है तो सपा, बसपा, कांग्रेस तरह-तरह के छदम ओढ़कर किसानों के लिए घड़याली आंसू बहाकर किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे है। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 के किसान इन दलों की असलियत को समझता हैं।