भूमि अधिग्रहण अध्यादेश: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से माँगा जवाब
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा फिर से जारी किये गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से सोमवार को जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति जे एस केहर और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की खंडपीठ ने किसानों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले चार गैर—सरकारी संगठनों की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता किसान संगठनों में दिल्ली ग्रामीण समाज, भारतीय किसान यूनियन, ग्रामीण सेवा समिति और चोगमा विकास आवाम शामिल हैं। गत शुक्रवार को किसान संगठनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति अरूण कुमार मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया था और उसने जनहित याचिका की सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए आज की तारीख मुकर्रर की थी।
याचिकाकर्ताओं ने पुन: अध्यादेश लाने के केंद्र सरकार के अधिकारों की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार का यह भूमि अधिग्रहण अध्यादेश संसद के कानून बनाने के अधिकार में कार्यपालिका का बेवजह हस्तक्षेप है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह कदम असंवैधानिक है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पहला भूमि अधिग्रहण अध्यादेश गत वर्ष दिसम्बर में जारी किया था।
बाद में संसद के बजट सत्र के पहले चरण में कुल नौ संशोधनों के साथ भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित करा लिया गया। हालांकि सरकार ने राज्य सभा में इसे पेश नहीं किया परिणामस्वरूप पहला अध्यादेश पांच अप्रैल को समाप्त हो रहा था। मोदी मंत्रिमंडल ने दूसरे अध्यादेश को मंजूरी दी थी और इसे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिये थे।