मोदी की यात्रा से पहले चीन के कड़वे बोल
अरुणाचल प्रदेश पर भारत के साथ ‘विवाद’ को बताया ‘अकाट्य तथ्य’
बीजिंग : चीन ने गुरुवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश पर भारत के साथ ‘विवाद’ एक ‘अकाट्य तथ्य’ है। हालांकि चीन ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों से सहमति जतायी कि दोनों देशों को सीमा मुद्दे का परस्पर स्वीकार्य हल निकालने हेतु साथ मिलकर अनुकूल वातावरण तैयार करना चाहिए।
भारत सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्सपा) की अवधि बढ़ाए जाने के संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां कहा, ‘चीन-भारत सीमा की पूर्वी सीमा पर काफी बड़ा विवाद है। यह अकाट्य तथ्य है।’
उन्होंने कहा, ‘चीन-भारत सीमा मुद्दे पर चीन का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है। दोनों पक्षों को सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए और सीमा मुद्दे पर बातचीत के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार करनी चाहिये।’ अरुणाचल प्रदेश की 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमार के साथ मिलती है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताकर उसपर अपना दावा करता है। चीन द्वारा सीमा मुद्दे को ‘बड़ा विवाद’ और ‘अकाट्य तथ्य’ बताए जाने से ऐसा मालूम होता है कि वह मोदी की अगले महीने की बीजिंग यात्रा से पहले अरुणाचल प्रदेश पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहता है।
हुआ चुनयिंग ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त में की है जब शुक्रवार को होने वाली वार्षिक रक्षा वार्ता से पहले दोनों देशों के शीर्ष रक्षा अधिकारियों के बीच बातचीत हो रही है। एक भारतीय अखबार को दिए गए साक्षात्कार में सीमा मुद्दे पर मोदी के विचारों पर हुआ ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए उनसे सहमति जतायी कि इस मामले का परस्पर स्वीकार्य हल निकालने हेतु वातावरण बनाने के लिए सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी पर गौर किया है। चीन-भारत सीमा मुद्दे पर चीन ने हमेशा सकारात्मक रवैया अपनाया है।’ उन्होंने कहा, ‘पिछले वर्ष सितंबर में भारत यात्रा के दौरान, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि चीन मित्रवत बातचीत और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति तथा स्थिरता बनाए रखते हुए भारत के साथ मिलकर सीमा मुद्दे को सुलझाने के प्रति आश्वस्त है।’
‘विचारों के आदान-प्रदान’ हेतु 18 दौर की विशेष प्रतिनिधि वार्ता पर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘सीमा मुद्दे को सुलझाना भारत और चीन की समान अकांक्षा की समान जिम्मेदारी है। हमने इस दिशा में काफी प्रयास किए हैं।’ हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘इस दिशा में प्रगती हुई है। दोनों पक्षों को स्वीकार्य विस्तृत और तर्कपूर्ण हल पर पहुंचने हेतु वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हम भारत के साथ मिलकर काम करने को इच्छुक हैं।’
अरुणाचल प्रदेश पर संवेदनशीलता दिखाते हुए चीन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सीमाई राज्य की यात्रा पर भारत से विरोध जताया था। इस मुद्दे पर चीन कहता है कि सीमा विवाद महज 2,000 किलोमीटर, जिसमें से ज्यादातर अरुणाचल प्रदेश में आता है, क्षेत्र में है जबकि भारत का कहना है कि विवाद करीब 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा पर है। विशेष रूप से अक्साई चीन वाले क्षेत्र में जिसपर 1962 के युद्ध में चीन ने कब्जा कर लिया था।