भारत रत्न के हकदार थे महापंडित राहुल सांकृत्यायन
लखनऊ: डाॅ0 अम्बेडकर महासभा के तत्वावधान में आज महापंडित राहुल संकृत्यायन का जन्म दिवस समारोह आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डा0 अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डा0 लालजी प्रसाद निर्मल तथा संचालन श्याम कुमार ने किया। अम्बेडकर महासभा के सभागार में आयोजित समारोह में अध्यक्ष डा0 लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि दुनियों में अनेकों महान लेखक क्रान्तिकारी, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक पुरातत्ववेत्ता, मानव समाज के विकास में अमूल्य योगदान कर चुके हैं, किन्तु किसी भी युग में अकेला एक व्यक्ति दार्शनिक लेखक, राजनीतिज्ञ यायावर, पुरातत्वेत्ता भाषा विज्ञानी, इतिहासकार, क्रान्तिकारी, जेलयात्री तथा समाज विज्ञानी के रूप में नहीं जाना गया है। राहुल सांकृत्यायन में भारी विशेषताएं थीं, डा0 निर्मल ने कहा कि राहुल ने तिब्बत की कई बार दुर्गम यात्राएं करके भारी संख्या में बौद्ध ग्रंथ खच्चरों पर लादकर भारत लाए, जिन ग्रन्थों के कारण भारत में लुप्त बौद्ध धर्म को एक नया आयाम मिला। डा0 निर्मल ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन को अपेक्षित सम्मान नही मिल पाया जबकि वास्तव में यह भारत रत्न के हकदार थे।
इस समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय भागीदारी आन्दोलन के संयोजक पी0सी0 कुरील ने कहा कि राहुल को हिन्दी से बड़ा लगाव था और उन्होने हिन्दी के सवाल पर कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ दी थी।
प्रख्यात रंगकर्मी श्याम कुमार ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन लंका विश्वविद्यालय मे बौद्ध धर्म के मानद प्रोफेसर रहे तथा बोल्गा से गंगा, भागो नही दुकान को बदलो, जैसी कालजयी रचनाओं के माध्यम से परिवर्तन की लहर पैदा की।