किसान आत्महत्याओं के खिलाफ किसान महासभा ने निकाला विरोध मार्च
बर्बाद फसलों का रू0 50,000 प्रति हेक्टेयर मुआवजा दे प्रदेश सरकार
लखनऊ। अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में कई जिलों से राजधानी आए किसानों ने लालकुआं कार्यालय से विधानसभा तक मार्च किया। प्रदेश व देश में बढ़ रही किसान आत्महत्याओं से आक्रोशित किसानों ने इसके लिए अखिलेश व मोदी सरकार को संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराया। किसानों ने ‘खेत-खेती किसान बचाओ-कारपोरेट लूट का राज मिटाओ’, ‘बर्बाद फसलों का पर्याप्त मुआवजा दो, बटाईदार-पेशगी किसानों को मुआवजा की गारंटी करो’, ‘मोदी, अखिलेश की कारपोरेटी तान, खेत बन गये कब्रिस्तान’ आदि नारे लगाते हुए जीपीओ पर सभा की।
सभा को सम्बोधित करते हुए किसान महासभा के प्रदेश महासचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि किसान अतिवृष्टि-ओलावृष्टि की विभीषिका से आत्महत्या कर रहा है। पहले ही कर्ज से डूबा किसान इस आपदा को बर्दाश्त नही कर पा रहा है, परन्तु प्रदेश की सरकार विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने में मशगूल है। वहीं देश की मोदी सरकार किसानों से गद्दारी करते हुए अडानी-अंबानी की सेवा में लगी हुई है और टैक्स छूट व भूमि लूट के लिए संसद में कानून बनाने के लिए बेताब है। जबकि आज जरूरत इस बात की है कि तबाह किसानों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाये।
कुशवाहा ने आगे कहा कि स्वनामधन्य धरती पुत्र के राज में किसान आत्महत्या को मजबूर है, परन्तु प्रदेश के मुखिया ग्रामीण क्रिकेट लीग में व्यस्त हैं। किसानों को दिया जा रहा मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। 50000 रु0 प्रति हेक्टेयर से कम मुआवजा कतई स्वीकार नही किया जा सकता। बटाईदार पेशगी किसानों को इसमें प्रमुखता से शामिल करना होगा। साथ ही उन्होंने आत्महत्या से प्रभावित परिवारों का 25 लाख रूपये मुआवजे की भी मांग की। कहा कि बटाईदार व पेशगी किसानों को मुआवजा देने को लेकर सरकार और नौकरशाह आश्चर्यजनक रूप से चुप हैं।
इसमें किसान नेता बसंत कुमार सिंह, राकेश सिंह, मोहम्द अहमद खान, श्याम सिंह, राजीव कुशवाहा, रामसिंह चौधरी, अलाउद्दीन शास्त्री, रामदरस, देवब्रत आदि उपस्थित रहे। सभा को भाकपा (माले) जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर ने भी संबोधित किया।
पांच सूत्रीय ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंप कर कार्यक्रम का समापन किया गया।