ब्लैकहोल में कभी नष्ट नहीं होती सूचनाएं: दावा
वाशिंगटन: ब्लैकहोल में प्रवेश करने पर सूचनाएं नष्ट नहीं होती हैं बल्कि वे उसके भीतर मौजूद रहती हैं । सालों से भौतिक शास्त्री जिस विषय पर बहस करते रहे हैं, उससे इतर कुछ विज्ञानियों ने दावा किया है कि किसी ब्लैकहोल में सूचनाओं के प्रवेश करने पर वह नष्ट नहीं होती। विज्ञानियों के इस दल में एक भारतीय मूल का विज्ञानी भी हैं।
अधिकतर भौतिक विज्ञानियों का मानना है कि ब्लैकहोल में सूचनाएं अवशोषित हो जाती हैं फिर बिना कोई सबूत छोड़े वे वहां से लुप्त हो जाती हैं। युनिवर्सिटी एट बफेलो में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर देजान स्तोजकोविक ने बताया, ‘हमारे अध्ययन के अनुसार ब्लैकहोल में सूचना के प्रवेश करने पर वह गुम नहीं होती और ना ही गायब होती है।’ युनिवर्सिटी के पीएचडी के छात्र अंशुल सैनी ने इस अध्ययन में स्तोजकोविक के साथ सह लेखक के रूप में सहयोग किया है। यह अध्ययन बताता है कि ब्लैकहोल द्वारा उत्सर्जित कणों के बीच का संपर्क यह बता सकता है कि उनके अंदर क्या छिपा है। यह ब्लैकहोल के बनने के कारकों के गुणों को बता सकते हैं। यह उसके पदार्थों और उर्जा के गुणों के बारे में जानकारी दे सकते हैं।
स्तोजकोविक का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि जो भौतिक विज्ञानी मानते हैं कि ब्लैकहोल में सूचना गुम नहीं होती, उन्हें इसे गणितीय रूप में दर्शाने के लिए कड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ता था। नए अध्ययन में स्पष्ट गणना प्रदर्शित की गई है जो बताती है कि सूचना का संरक्षण किस प्रकार हुआ है। यह अध्ययन ‘सूचना ह्रास विरोधाभास’ (इंफोर्मेशन लॉस पैराडॉक्स) को सुलझाने में एक कदम आगे बढ़ने जैसा है जिसने भौतिक विज्ञान के विकास को 40 साल तक रोके रखा, जब तक कि स्टीफन हॉकिंस ने पहली बार यह प्रस्ताव नहीं दिया कि ब्लैकहोल उर्जा प्रसारित करते हैं और बाद में समय के दौरान वाष्पित हो जाते हैं।
इसका अर्थ था कि जब कोई ब्लैकहोल लुप्त हो जाता है तो उसके अंदर की सूचनाएं हमेशा के लिए खत्म हो जाती हैं जो कि क्वांटम मैकेनिक्स का उल्लंघन था जिसका सिद्धांत है कि सूचना का संरक्षण होना चाहिए। यह नया अध्ययन फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है ।