मुख्यमंत्री बताये बिजली को लेकर उनके वादे का क्या हुआ ?
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि बिजली को लेकर केन्द्र सरकार पर आक्रामक होते मुख्यमंत्री बताये कि उनके वादे का क्या हुआ ? प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकारी क्षेत्र में बिजली उत्पादन को प्राथमिकता देते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 22 घंटे आपूर्ति करेंगे, अब उन्होनंे जनता से जो बिजली की आपूर्ति वादे किये गए थे उनका क्या हुआ ? फिर उपलब्धता के आधार पर बिजली का वितरण तो राज्य ही करेगा। बिजली के असमानता पूर्ण वितरण और लाइन लास के नाम विद्युत चोरी कौन रोकेगा, केन्द्र सरकार ?
मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा केन्द्र सरकार पर बिजली को लेकर कहे कथन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि अखिलेश यादव अपने वादों पर भी ध्यान दे, वादा किया सरकारी क्षेत्र में विद्युत उत्पादन हमारी सरकार की प्राथमिकता होगी और आने वाले दो वर्षों में बिजली की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 20 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 22 घंटे की जायेगी किन्तु कहां खड़े है, आज समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाले जनपदों में लाइन लास 75 प्रतिशत के लगभग तक पहुंच रहा है, इस लाइन लास को रोकेगा कौन ?
उन्होनंे कहा कि आज मुख्यमंत्री ने स्वयं सोनभद्र (अनपरा) में उद्घाटन करते हुए कहा कि रूपये 2.92 में यहां से बिजली मिलेगी। स्वाभाविक है, सार्वजनिक क्षेत्रों में बिजली बनती है तो सस्ती बिजली मिलेगी। फिर राज्य को सस्ती बिजली मिले इसके लिए सरकार ने क्या प्रयास किये। कितने सार्वजनिक क्षेत्रों के बिजली घरों के निर्माण की नीव रखी गयी सरकार बताये ? क्यों नहीं सरकारी क्षेत्रों में विद्युत उत्पादन को प्राथमिकता देने के अपने वादे को पूरा किए जाने पर काम किये गये।
श्री पाठक ने कहा कि एक ओर वादे सार्वजनिक क्षेत्र में विद्युत उत्पादन को प्राथमिकता देने के दूसरी ओर एम.ओ.यू. आधारित नौ बिजली परियोजनाओं को लगातार मौके पर मौका दिया जा रहा है, जबकि यह तथ्य है कि केवल एक ललितपुर छोड़कर कही काम ही नहीं शुरू हो पाया है। हद तो तब हो गई जब विद्युत नियामक आयोग ने जिन परियोजनाओं के अनुबन्धों को रद्द करने का निर्णय किया उन पर पुर्नेविचार करने के लिए यूपी पावर कारर्पोरेशन निजी कम्पनियों के पक्ष में खड़ा है।