भारत रत्न से सम्मानित हुए अटल
राष्ट्रपति ने घर जाकर प्रदान किया देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुख्रर्जी ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया। प्रणब मुखर्जी ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को उनके घर पर जाकर प्रदान किया। इस भव्य समारोह में शामिल होने के लिए भारतीय जनता पार्टी सहित कई पार्टियों के दिग्गज नेता पहुंचे थे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकोल को एक तरफ कर इन दिनों अस्वस्थ चल रहे वाजपेयी के यहां कृष्ण मेनन मार्ग स्थित निवास पर खुद जाकर उन्हें इस पुरस्कार से नवाज़ा। इस अवसर पर वाजपेयी के कुछ नजदीकी संबंधी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह आदि उपस्थित थे।
प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इससे पहले ट्वीट किया, ‘करोड़ों भारतवासियों के लिए आज ऐतिहासिक दिन है, जब अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न पुरस्कार दिया जाएगा।’ राष्ट्रपति द्वारा वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के निवास के लॉन में चाय पार्टी का आयोजन हुआ जिसमें अन्य लोगों के अलावा कुछ केन्द्रीय मंत्रियों और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद सहित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित हुए।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘वाजपेयी जी का जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। वाजपेयी जी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं। उनका जीवन हमें आगे भी प्ररेणा देता रहे मैं यही कामना करूंगा।’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने समारोह के बाद कहा, ‘वाजपेयी जी देश के सबसे पुराने नेताओं में से एक रहे हैं। राजनीति में उनका कार्यकाल बहुत ज्यादा रहा है। अपनी क्षमता से उन्होंने विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ी है। वाजपेयी जी ने देश को आगे बढ़ाने में बहुमूल्य योगदान दिया है।’
जेटली ने कहा कि समारोह में कई राज्यों के मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, गृह मंत्री राजनाथ, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुफ्ती सईद भी मौजूद थे।
यह कार्यक्रम यहां कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर आयोजित हुआ।
गौरतलब है कि ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे वाजपेयी पहले जनसंघ फिर भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे। तीन बार प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी के समय देश की आर्थिक विकास दर तेज रही। वह देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिनका कांग्रेस से कभी नाता नहीं रहा। साथ ही वह कांग्रेस के अलावा के किसी अन्य दल के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहरे से जुड़े होने के बावजूद वाजपेयी की एक धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी छवि है। उनकी लोकप्रियता भी दलगत सीमाओं से परे है। करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता और प्रखर कवि के रूप में प्रख्यात वाजपेयी को साहसिक पहल के लिए भी जाना जाता है जिसमें प्रधानमंत्री के रूप में उनकी 1999 की ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा शामिल है, जब पाकिस्तान जाकर उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
वाजपेयी और प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं स्वतंत्रता सेनानी महामना मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की घोषणा 24 दिसम्बर को की गई थी। इत्तेफाक की बात यह है कि वाजपेयी और मालवीय दोनों का जन्मदिन 25 दिसंबर है। वाजपेयी का जन्म इस तारीख को 1924 में और मालवीय का जन्म 1861 को हुआ था। महामना को मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उनके परिजनों को 30 मार्च को राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार दिया जाएगा। वाजपेयी और महामना इस पुरस्कार से नवाजे जाने वाली 44वीं व 45वीं हस्ती हैं। 1998 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी उम्र से जुड़ी बीमारियों के चलते इन दिनों सार्वजनिक जीवन से दूर हैं।