फाल्के पुरूस्कार से सम्मानित होंगे शशि कपूर
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता शशि कपूर को फिल्मी जगत के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा जाएगा। शशि कपूर दीवार, कभी कभी, सुहाना सफर, नमक हलाल जैसी कई हिट सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।
18 मार्च 1938 को जन्में इस सुपरस्टार का असल नाम बलबीर राज कपूर है, शशि का रूझान बचपन से ही फिल्मों की ओर थो। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और भाई राजकपूर, शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने अभिनेता थे। शशि ने अपने करियर की शुरूआत बाल-कलाकार के रूप में की। इन फिल्मों में “आग” और “आवारा” शामिल है। जिसमें उन्होंने राजकपूर के बचपन की भूमिका निभाई। पचास के दशक में शशि अपने पिता के थिएटर से जुड़ गये। इसी दौरान वह भारत और पूर्वी एशिया की यात्रा पर आई बर्तानवी नाटक मंडली शेक्सपियेराना से जुड़ गए, जहां उनकी मुलाकात मंडली के संचालक की पुत्री जेनिफर केडिल से हुई। वह उनसे प्यार कर बैठे और बाद में शादी कर ली।
शशि ने अभिनेता के रूप में करियर की शुरूआत वर्ष 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म “धर्म पुत्र” से की। इसके बाद वे विमल राय की फिल्म “प्रेम पत्र” में नजर आएं, लेकिन दोनों ही फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई। 1965 में “जब जब फूल खिले” फिल्म शशि के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने शशि को स्टार बना दिया। इसी साल उनकी एक और सुपरहिट फिल्म “वक्त” प्रदर्शित हुई। इन फिल्मों की सफलता के बाद शशि की छवि रोमांटिक हीरो की बन गई। वर्ष 1965 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में शशि ने जिन फिल्मों में काम किया, उनमें अधिकतर फिल्में हिट साबित हुई।
अस्सी के दशक में शशि ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और “जुनून” फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने “कलयुग”, “36 चैरंगी लेन”, “विजेता”, “उत्सव” जैसी फिल्मों का भी निर्माण किया। हालांकि ये फिल्म टिकट खिड़की पर ज्यादा सफल नहीं हुई, लेकिन इन फिल्मों को समीक्षकों ने काफी पसंद किया। नब्बे के दशक में सेहत खराब रहने के कारण शशि ने फिल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म “जिन्ना” उनके करियर की आखिरी फिल्म है, जिसमें उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई थी। शशि ने लगभग 200 फिल्मों में काम किया है।