दक्षिण अफ्रीकी टीम से हटा चोकर्स का धब्बा
नई दिल्ली : वर्ल्ड कप क्वार्टर फ़ाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उतरने से पहले दबाव दक्षिण अफ्रीकी टीम पर था, क्योंकि वर्ल्ड क्रिकेट की सबसे जोरदार टीम माने जाने के बावजूद इस टीम को चोकर्स कहा जाता है।
दक्षिण अफ्रीकी टीम ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी वापसी के बाद कई जोरदार खिलाड़ी दिए हैं। मौजूदा समय में ही देख लीजिए, दुनिया के दो सबसे बड़े बैट्समैन एबी डिविलियर्स और हाशिम अमला इसी टीम में शामिल हैं। इतना ही नहीं दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज़ डेल स्टेन भी यहीं मौजूद हैं। दक्षिण अफ्रीकी टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों को हराती रही हैं और उसके खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में तमाम रिकॉर्ड्स भी बनाते रहे हैं।
इंटरनेशनल क्रिकेट में एलन डोनाल्ड जैसा गेंदबाज़ हो या फिर ग्रेम स्मिथ जैसा तूफानी बल्लेबाज़ या फिर जैक कैलिस जैसा जोरदार ऑलराउंडर या जॉंटी रोड्स जैसा फील्डर ये सबके सब दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट की पहचान रहे हैं।
बावजूद इन सबके दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ चोकर्स का टैग चिपका रहा, जो दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ दुनियाभर के क्रिकेट फैंस को परेशान करता रहा है। इसकी वजह ये थी कि आईसीसी के बड़े टूर्नामेंटों में दक्षिण अफ्रीकी टीम नॉकआउट राउंड में हारती रही।
बीते दो दशक के दौरान दक्षिण अफ्रीकी टीम एक बार भी बड़े टूर्नामेंट में नॉकआउट राउंड के दबाव से पार नहीं पा सकीं। इसमें 1992 और 1999 के वर्ल्ड कप में सेमीफ़ाइनल की हार भी शामिल थी।
1992 में इंग्लैंड ने दक्षिण अफ्रीका को हराया था, जबकि 1999 में ऑस्ट्रेलिया के हाथों टीम को हार का सामना करना पड़ा था. 2011 के वर्ल्ड कप में टीम क्वार्टर फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड से हार गई थी.
लेकिन एबी डिविलियर्स की अगुवाई में दक्षिण अफ्रीकी टीम के इरादे इस बार इतिहास को बदलने का था. ग्रुप मुक़ाबलों में जोरदार खिलाड़ियों की मौजूदगी के बावजूद टीम जिस तरह से भारत और पाकिस्तान के हाथों अपना मैच हार गई थी, उसे देखते हुए ये आशंका बढ़ रही थी कि दक्षिण अफ्रीकी टीम कहीं इस बार भी चोकर्स साबित नहीं हो.
श्रीलंका के खिलाफ एबी डिविलियर्स टॉस हार गए, लेकिन उनके गेंदबाज़ों ने शुरुआत से ही श्रीलंका पर अंकुश लगा दिया. इमरान ताहिर ने चार और जेपी ड्यूमिनी ने तीन विकेट चटका कर ये साफ कर दिया कि दक्षिण अफ्रीकी टीम इस बार चोकर्स के टैग और इतिहास को बदलने के लिए खेल रही है।