राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा उत्तर प्रदेश की विकास दर
अखिलेश सरकार के 3 साल को सपा ने सारा विपक्ष ने नाकारा
लखनऊ : सर्वागीण विकास के वादे के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार जहां अपने शासन के गुजरे तीन सालों को विकास के लिहाज से गौरवशाली और ऐतिहासिक मानती है, वहीं विपक्ष की नजर में इन तीन बरसों में प्रदेश विकास नहीं बल्कि विनाश के रास्ते पर बढ़ा है। हालांकि उद्योग जगत ने विकास दर को लेकर सरकार की पीठ थपथपाई है।
तीन वर्ष पहले आज ही के दिन उत्तर प्रदेश की कमान संभालने वाली सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि पिछले तीन सालों में सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में किये गये ज्यादातर वादों को अमली जामा पहनाया है। समाज के हर वर्ग के लिये बुनियादी कामों की शुरआत हुई है और आने वाली पीढ़ियां इन कार्यों के अच्छे नतीजों की वजह से इस सरकार को हमेशा याद करेंगी।
चौधरी ने कहा कि सरकार ने गरीबों, किसानों, मजदूरों, अल्पसंख्यकों समेत समाज के सभी वर्गों के हितों के लिये काम किये हैं। मुख्यमंत्री ने लखनउ मेट्रो, पुलिस सुधार, बुनियादी ढांचा विकास, अवस्थापना सुविधाओं, औद्योगिक निवेश तथा शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल की हैं जिनका फायदा पूरे प्रदेश को होगा।
हालांकि विपक्षी दलों की राय इससे ठीक उलट है। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक के मुताबिक अखिलेश सरकार ने जिस दिन शपथ ली थी उस दिन उसके पास जो चुनौतियां थीं, वे आज भी बरकरार हैं। कानून-व्यवस्था चुनौती थी और आज भी है। इन तीन वष्रो में इनसे निजात मिलना तो दूर बल्कि वह चुनौतियां और बढ़ी हैं । भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने औद्योगिक निवेश और विकास की बड़ी-बड़ी बातें कीं लेकिन सच यह है कि ऐसा हुआ नहीं। सरकार निवेशकों को उसकी पूंजी की सुरक्षा, उसकी अपनी सुरक्षा और उसके बाजार की सुरक्षा जैसी सुविधाएं सुलभ कराने में सरकार नाकाम रही।
अखिलेश सरकार के प्रयासों और उपलब्धियों के बारे में हालांकि उद्योग मण्डल ‘एसोचैम’ की राय सरकार के हक में है। एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत के मुताबिक अखिलेश सरकार ने अपना पहला साल तो चीजों को समझने में गुजार दिया लेकिन दूसरे और तीसरे साल में राज्य की विकास दर में तेजी आयी। राज्य ने अब साढ़े आठ प्रतिशत के करीब विकास दर हासिल कर ली है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।
हालांकि रावत ने माना कि सरकार को कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर अभी काफी काम करना होगा। उन्होंने कहा लेकिन दुर्भाग्य से अखिलेश सरकार को अब भी कड़े फैसले लेने की जरूरत है… खासकर कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर। कुछ उद्यम हमसे यह शिकायत कर रहे हैं कि पुलिस कानून को उस तरह लागू नहीं कर रही है, जैसे कि उसे करना चाहिये। हालांकि इसके बावजूद प्रदेश ने निवेश हासिल किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। वे प्रदेश में निवेश के तीव्र इच्छुक हैं। खासकर कृषि तथा कृषि आधारित उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और खुदरा क्षेत्र में।
इस बीच, कांग्रेस के प्रान्तीय अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा कि सपा को सिर आंखों पर बैठाकर सत्तारूढ़ करने वाली जनता इन तीन वषोर्ं में सिर्फ ठगी ही गयी है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के बाद जितनी भी सरकारें आयी, उन सबने ‘लूटो और ऐश करो’ का रास्ता अपनाया। मौजूदा अखिलेश सरकार भी उसी रवायत पर चल रही है।
खत्री ने कहा कि प्रदेश में शासन नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त है, महिलाएं असुरक्षित हैं। कत्ल, डकैती और राहजनी आम है। सरकार की नाकामी का इससे बड़ा सुबूत और क्या होगा कि कानून-व्यवस्था ठीक रखने की जिम्मेदारी सम्भालने वाले लोग ही अपराध में लिप्त हैं।
इस बीच, राष्ट्रीय लोकदल के प्रान्तीय अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि सपा ने अल्पसंख्यकों को 18 प्रतिशत का आरक्षण देने, सभी किसानों का 50 हजार रपये तक का कर्ज माफ करने, गन्ने के दामों में बढ़ोत्तरी करने, किसान आयोग बनाने समेत अनेक वादे किये थे लेकिन वे पूरे नहीं हुए। चौहान ने कहा कि अगर तीन साल में नम्बर देने की बात आये तो इस सरकार को ‘डबल जीरो’ से ज्यादा कुछ नहीं दिया जा सकता।