पिछड़े, दलित, मुस्लिम, आदिवासी के अधिवक्ताओं को जज बनाए जाने की मांग
लखनऊ: पिछड़ा समाज महासभा ने उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों, और जिला अदालतों में पिछड़े दलितों, मुसलमानों आदिवासियों के 90 प्रतिशत अधिवक्ता को जज के पद पर नियुक्ति करने की मांग करते हुए पिछड़ा समाज महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अहसानुल हक मलिक व पिछड़ा समाज महासभा के राष्ट्रीय महासचिव शिव नारायण कुशवाहा ने कहा है कि अगर उनके आबादी के अनुपात से हिस्सेदारी नहीं दी गई तो महासभा देश भर में आंदोलन चलाए जाने पर मजबूर होगी।
नेताओं ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की होने वाली नियुक्ति के बारे में विभिन्न सूत्रों से जो खबर मिली है उसमें पिछड़ों, दलितों, मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है । केंद्र व राज्य सरकार का यह नारा कि सब को हिस्सेदारी और सभी विकास यह सिर्फ एक झूठ का पुलिंदा है अगर इसी तरह से अन्याय होता रहा तो यह समाज अधिकार न मांगकर छीनने पर मजबूर होजाएगा। मालूम हो कि यह समाज अपनी हिस्सेदारी लेने के लिए वे किसी भी स्तर तक संघर्ष करने के लिए तैयार बैठा है। तूफ़ान उठने से पहले अगर केंद्र और राज्य सरकारें उन्हें अधिकार दे देती हैं तो यह उनके लिए बेहतर होगा।
नेताओं ने कहा कि इस मांग को लेकर लगातार महासभा लगा हुआ है। और कई बार केंद्र और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर ज्ञापन देती रही हैं। नेताओं ने यह भी बताया कि उक्त समस्याओं के बारे में महासभा द्वारा राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश व कानून मंत्री को स्पीड पोस्ट द्वारा ज्ञापन भेजा गया है । कारवाई न होने की स्थिति में दिल्ली के जंतर मंतर विरोध किया जाएगा।