भाजपा ने राज्य सरकार पर लगाया गन्ना किसानों के शोषण का आरोप
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने राज्य सरकार पर गन्ना किसानों के शोषण का आरोप लगाते हुए कहा सेठ को बंद कर दे किसान के भुगतान के रास्ते खुल जायेगे। प्रबन्धक पर कार्यवाही के बजाय सरकार मिल मालिकों पर कार्यवाही करें और गन्ना किसानों के भुगतान को सुनिश्चित कराये।
आज विधानसभा में बोलते हुए डा0 बाजपेयी ने कहा वर्तमान समय में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पिछला बकाया लगभग रू0 650 करोड़ तथा वर्तमान सत्र का बकाया लगभग रूपये 6,390 करोड़ से ज्यादा है जिसका भुगतान समय पर न होने के कारण वह आंदोलित हैं। सरकार द्वारा गन्ने का समर्थन मूल्य रूपये 280/- निर्धारित किया गया है, जो कि किसानों के लागत मूल्य से काफी कम है। किसानों को लागत के सापेक्ष 350/- प्रति कुन्तल गन्ना मूल्य दिया जाना चाहिए। गन्ना की उपज में लागत के सापेक्ष गन्ना किसानों को समुचित गन्ना मूल्य नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में वर्तमान में कुल 118 चीनी मिलें चल रही हैं। चीनी मिल समूह गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान नहीं कर रहे है। एकल स्वामित्व वाली चीनी मिलों पर लगभग 365 करोड़ से ज्यादा गन्ना मूल्य बकाया है। इस वर्ष गन्ना पेराई सत्र 04 माह लेट दिसम्बर, 2014 में शुरू हुआ। इससे गन्ना किसानों की अन्य गेहूं आदि रबी की फसल पिछड़ गयी। गन्ना किसान अपने गन्ना मूल्य समय पर भुगतान न होने के कारण आर्थिक तंगी से गुजर रहे है। ऋणग्रस्त होने के कारण वह आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है तथा सरकार की नीतियों की वजह से आक्रोशित होकर खड़ी गन्ने की फसल को जला रहे है। वर्तमान में चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को प्रथम किस्त के रूप मंे रूपये 240/- प्रति कुन्तल का भुगतान किया जा रहा है, 40/- रोक दिया जा रहा है, जिसका भुगतान कब किया जायेगा, पता नहीं।
डा0 बाजपेयी ने कहा सरकार चीनी मिलों को समय से गन्ना खरीद करने तथा उनका समय पर भुगतान किये जाने हेतु कड़ाई से आदेश देना चाहिए। उ0प्र0 गन्ना उत्पादन में अग्रणी राज्य होने के बावजूद यहां के गन्ना किसानों को उनकी उपज का लाभ नहीं प्रदान किया जा रहा है और न ही चीनी मिलों को प्रोत्साहन पैकेज देकर चालू किया जा रहा हैं। प्रदेश की कई चीनी मिलों पर व्याप्त भ्रष्टाचार एवं घटतौली के कारण किसानों मंे सरकार के प्रति रोष व्याप्त हे। प्रदेष के गन्ना किसान अपने पिछले बकाये रू0 650 करोड़ तथा वर्तमान सत्र के बकाये लगभग रूपये 6,390 करोड़ का शीघ्र भुगतान करने तथा वर्तमान पेराई सत्र में गन्ना समर्थन मूल्य रू0 350/- किये जाने की लगातार 02 वर्ष से मांग कर रहे है। सरकार के ढुलमुल नीति के कारण गन्ना किसान आक्रोषित है तथा वह कभी भी आंदोलित होकर कोई सरकार विरोधी कदम उठा सकते है जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
डा0 बाजपेयी ने बुलन्दशहर शुगर मिल का प्रकरण उठाते हुए कहा कि चढ्ढा गु्रप ने 29 करोड़ में मिल खरीदी, जबकि केवल जमीन की कीमत 600 करोड़ के लगभग। मिल बंद कर दी है किसान परेशान है, सरकार हस्तक्षेप करे। मिल को सरकार पुनः अधिगृहित कर स्वयं चलावे।