आप में घमासान जारी
मयंक गांधी ने फिर साधा पार्टी के कुछ सदस्यों पर निशाना
नई दिल्ली: आप नेता मयंक गांधी ने आज आरोप लगाया कि राजनीतिक कार्य समिति (पीएसी) से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को हटाने के फैसले पर उनके आवाज उठाने के बाद ‘पार्टी में फैसला लेने वाला एक छोटा समूह’ उन्हें निशाना बना रहा है और कहा कि उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर उन्हें ‘पार्टी विरोधी’ और ‘एके विरोधी’ (अरविंद केजरीवाल) साबित करने के लिए मुहिम छेड़ दी गई है।
गांधी ने कहा कि यादव और भूषण को भी इसी तरह ‘अपमानित’ करने और बाहर निकालने की कोशिश हो रही थी, लेकिन पार्टी नहीं छोड़कर उन दोनों ने इन लोगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। उन्होंने पार्टी की ओर से ‘पाबंदी’ को तोड़ते हुए एक ब्लॉग में लिखा है, ‘कीमत चुकानी पड़ सकती है। दिल्ली में फैसला लेने वालों का एक छोटा समूह अनौपचारिक बीबीएम ग्रुप से मुझे पहले ही निकाल चुका है। आशीष खेतान और दूसरों की तरफ से मुझ पर हमला शुरू हो गया है।’
आप नेता की ओर से लिखे गए एक ताजा ब्लॉग में ये टिप्पणी की गई है। बुधवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वोटिंग से वह गैरहाजिर रहे थे। खेतान ने गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि कुछ लोग ब्लॉग लिखते हैं और इंटरव्यू देते हैं तो कुछ लोग इतिहास लिखते हैं।
खेतान ने ट्वीट किया था, ‘कुछ लोग दिन भर टेलीविजन साक्षात्कार देते हैं तो कुछ लोग दिल्ली और देश की प्रगति के लिए काम करते हैं। कुछ लोग ब्लॉग लिखते हैं तो कुछ लोग इतिहास लिखते हैं।’
मयंक गांधी ने कहा कि पार्टी के कुछ असंतुष्ट सदस्य उन्हें पार्टी विरोधी और केजरीवाल विरोधी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि वह ना तो पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर रहे हैं ना ही अपनी ओर ध्यान खींचना चाहते हैं। वह सिर्फ पारदर्शिता के उच्च सिद्धांतों को बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले गुरुवार को ब्लॉग में गांधी ने भूषण और यादव को पीएसी से हटाने पर हैरानी जाहिर की थी और जिस तरीके से उन्हें हटाया गया था उसकी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि वह तब स्तब्ध रह गए थे, जब मनीष सिसौदिया ने यादव और भूषण को हटाने का प्रस्ताव पेश किया था, जबकि दोनों ने खुद ही हटने की पेशकश की थी।
उन्होंने कहा, ‘एक स्वयंसेवक आप को अपनी पहचान मानता है लेकिन उनके, कमेटियों के और उनके अपारदर्शी फैसलों के बीच जो दीवार बनी है, उससे वे विमुख हो रहे हैं।’