जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को नहीं छू सकते: महबूबा मुफ्ती
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली पीडीपी का कहना है कि जनता अब नारों में नहीं बहती है और राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ‘छुआ नहीं जा सकता है’। साथ ही पार्टी ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की मांग करती आ रही भाजपा के लिए यह पीछे हटना नहीं है।
पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक समाचार चैनल से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की जिनमें राज्य के मुख्यमंत्री और उनके पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद द्वारा जम्मू कश्मीर के शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय पाकिस्तान और अलगाववादी हुर्रियत को दिया जाना शामिल है जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं और भाजपा को अलग किया।
यह पूछे जाने पर कि भाजपा क्या अनुच्छेद 370 के अपने पारंपरिक रूख पर दबाव नहीं दे रही है, उन्होंने कहा, ‘नहीं नहीं, मैं यह नहीं कहूंगी कि यह भाजपा के लिए पीछे हटना है। आखिर सब जानते हैं कि आप जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को नहीं छू सकते हैं और इसलिए समय बदल रहा है, जनता बदल रही है और अब इन नारों से लोगों को नहीं लुभाया जा सकता है..’ एक न्यूज चैनल से बातचीत में बातचीत के दौरान पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘..दो ध्वज और एक अलग संविधान वास्तविकता है..मैं इसमें नहीं पड़ना चाहती। हमें राज्य से अफस्पा को चरणबद्ध ढंग से हटा कर और अनुच्छेद 370 पर यथास्थिति बनाए रख कर राज्य की जनता का सम्मान करना चाहिए।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या पीडीपी विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम के अपने रूख से पीछे हटी है, उन्होंने कहा, कोई ‘आगे बढ़ने या पीछे हटने’’ जैसी बात नहीं है और राज्य सरकार आंकलन करेगी कि क्या किसी खास क्षेत्र में अशांत क्षेत्र अधिनियम को बनाए रखने की जरूरत है या नहीं। उन्होंने कहा कि एक बार अशांत क्षेत्र अधिनियम को हटा लेने पर केन्द्र अफस्पा को हटाने की समीक्षा करेगा।
पीडीपी अध्यक्ष ने हालांकि, यह माना कि राज्य और शेष देश में कुछ आशंकाएं हैं। इसलिए उन आशंकाओं को दूर करने के कदम उठाने की जरूरत है। महबूबा ने स्पष्ट किया कि वह इस बात से चिंतित नहीं हैं कि उनकी पार्टी और भाजपा के बीच गठबंधन कितनी देर चलता है। उन्होंने कहा कि इसकी बजाय इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि दोनों दलों के बीच जो राजनीतिक और विकास के एजेंडे पर सहमति बनी है उसे जल्द से जल्द लागू किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी की बात यह है कि मेरा ध्यान इस बात पर नहीं है कि हम छह साल तक साथ रह पाएंगे या नहीं। मेरा ध्यान इस बात पर है कि हम क्या प्रदर्शन दे सकते हैं और उसके लिए छह साल लगते हैं, दस साल, 12 साल या दो या तीन साल..हमारा ध्यान एजेंडे को पूरा करना होगा, जिसपर हम दोनों दल सहमत हुए हैं, चाहे वह राजनीति एजेंडा हो या विकास का एजेंडा हो।’ इस सवाल पर कि क्या उनके पिता ने स्वयं को उस समय असहज महसूस किया जब केन्द्र ने और भाजपा ने उनके बयान से अपने को ‘पूरी तरह अलग’ कर लिया, महबूबा ने कहा, ‘हमने काम की शुरूआत अभी की ही है और हम चाहते हैं कि एजेंडा बना रहे। एजेंडे ने मेलमिलाप को प्राथमिकता दी है, वार्ता को प्राथमिकता दी है और अलगाववादियों से बातचीत को प्राथमिकता दी है।’