रमज़ान और लॉकडाउन के हवाले से दारुल उलूम ने मुसलमानों के लिए जारी किया हिदायतनामा
देवबन्द से तसलीम क़ुरैशी
देवबन्द।दारूल उलूम देवबन्द ने जब-जब देश-दुनियाँ में इस बात की ज़रूरत महसूस किया गया कि किसी ऐसे संस्थान या व्यक्ति को आगे आना चाहिए तो दारूल उलूम देवबन्द ने हमेशा अपना फ़र्ज़ निभाया है लेकिन गोदी मीडिया लगातार दारूल उलूम देवबन्द को टारगेट करता रहता है क्योंकि उसे नफ़रत फैलाने का ठेका मिला हुआ है साम्प्रदायिक संगठनों की तरफ़ से इस लिए वह ऐसा कर रहे हैं इस बात को जनता को समझना चाहिए कि यह क्या हो रहा है यह सही नहीं है।दारूल उलूम देवबन्द ने रमज़ान का पवित्र महीने को ध्यान में रखते हुए 16 बिंदुओं पर देश के मुसलमानों को अपना मशवरा दिया।कोविड-19 कोरोना वायरस ने पूरी दुनियाँ को जहाँ की तहाँ जाम होने को विवश कर दिया है इस महामारी की रोकथाम के लिए सबसे सरल इलाज लॉक डाउन है इसी बीच पवित्र महीना रमज़ान भी है हमें इस पवित्र महीने को लॉक डाउन के तरीक़े को मानते हुए रमज़ान के रोज़े और इबादत करनी है हमें किसी को यह मौक़ा नहीं देना है कि कोई हम पर उँगली उठाए क्योंकि गोदी मीडिया देश में नफ़रत फैलाने का काम कर रहा है और हमें नफ़रत फैलाने वालों से भी सतर्क रहना होगा।पहले तो दारूल उलूम देवबन्द ने मुसलमानों से अपील की है कि वह 24 अप्रैल को चाँद देखने की कोशिश करें क्योंकि सब-ए-बरात के चाँद दिखाई देने पर आम सहमति नहीं बन पायी थी इस लिए रमज़ान के चाँद की तलाश 23 अप्रैल को भी करें क्योंकि अगर सब-ए-बरात के चाँद को लेकर आम राय नहीं वाले दुरुस्त हुए तो फिर चाँद एक दिन पहलें दिखाई दे सकता है।रमज़ान के महीने के दौरान सभी मुसलमान रोज़ों का ख़ास तरीक़े से अमल करे और अगर किसी मुसलमान को बीमारी की वजह से रोज़ा न रखना पड़े तो वह किसी मुफ्ती से मालूम कर उस पर अमल करें।मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने को लेकर पहले से दी गई सलाहों पर ही अमल जारी रहेगा।इमाम मुअज्जिन के अलावा चार से पाँच लोगों को तय कर लिया जाए उनके अलावा अन्य कोई मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की ज़िद न करें यही हमारे और हमारे परिवार की बेहतरी के लिए ठीक है इस पर अमल करना चाहिए।जिन लोगों के मस्जिद में नमाज़ अदा करने के नाम तय कर दिए गए हैं वही हज़रात नमाज़-ए-तरावीह भी अदा करेंगे इनके अलावा नहीं।बाक़ी मुसलमान अपने-अपने घरों में नमाज़ अदा करे और तरावीह का भी अपने घरों में ही अदा करने का इंतज़ाम करे और उसमें अपने परिवार के सदस्य के साथ मिलकर नमाज़ और तरावीह अदा करे और अगर जमात की शक्ल न बने तो अकेले भी अदा की जा सकती हैं हाफ़िज़ न मिलने की सूरत में अलम त-र कैफ़ से तरावीह अदा की जा सकती हैं या जो सूरते याद हो।तरावीह को कम दिनों में यानी जल्दी ख़त्म न किया जाए एक पारा या सवा पारे के हिसाब से पढ़ा जाए ताकि पूरे महीने तरावीह की नमाज़ अदा होती रहे।मस्जिदों के क़रीब रहने वाले या किसी बिल्डिंग में हाफ़िज़ का इंतज़ाम कर माईक के ज़रिए घरों में नमाज़-ए-तरावीह अदा न की जाए।जिन इलाक़ों में क़दीम या जदीद (नई पुरानी) जंतरी (कैलंडरों) से ख़त्में सहर हो दोनों को लेकर आम सहमती नहीं है और जंतरी के हिसाब से होता है तो वहाँ पुरानी जंतरी के हिसाब से किया जाए तथा फ़जर की अंजान दस मिनट पहले की जाए।मस्जिदों में इफ़्तार का प्रबंध भी न किया जाए और इस तरह का कोई आयोजन अपने निजी तौर पर भी न किया जाए।रमज़ान के महीने में जिस तरीक़े से हम लोगों को सहर और इफ़्तार की जानकारी देते थे उसी तरह दे कही सायरन बजने की व्यवस्था है तो कही घंटी बजाकर तथा माइक से लोगों को ख़त्म-ए-सहर और इफ़्तार की सूचना दी जाती हैं वह जारी रहेंगी वहीं दारूल उलूम देवबन्द ने लोगों से यह भी अपील की है कि ख़त्म-ए-सहर में बार-बार जानकारी देने से परहेज़ किया जाए क्योंकि इससे लोगों की निजी ज़िंदगी में ख़लल पड़ता है जो ठीक नहीं है इबादत करने वालों को और घरों में मरीज़ों को भी दिक़्क़त होती हैं इस लिए ऐसा न किया जाए बस एक बार ही ऐलान किया जाए।रमज़ान के आख़िरी अशरे की ताक़ रातों में अपने-अपने घरों में रहकर व्यक्तिगत ही इबादत करे मस्जिदों या किसी के मकान में जमा न हो।लॉक डाउन के चलते खाने पीने के सामान की ख़रीदारी प्रशासन की ओर से जारी सुझावों के आधार पर ही करे और अगर खाने पीने के सामान में कोई परेशानी हो तों सब्र से काम ले वैसे प्रशासन यह कोशिश करेगा कि आम जनता को कोई दिक़्क़त न हो लेकिन फिर भी अगर आए तो हमें सब्र से काम लेना है इसे नहीं खोना हैं।रमज़ान के महीने में ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करें मोबाइल पर टाईम बर्बाद न करें इस महीने की फ़ज़ीलत को देखते हुए हमें अपने गुनाहों से माफ़ी माँगनी चाहिए और देश दुनियाँ में इस महामारी या अन्य परेशानियों से बचाने की दुआएँ करें।अपने बच्चों को घरों में रहने की नसीहत दे बल्कि बाहर न जाने दे।दारूल उलूम देवबन्द ने बहुत ही विस्तार से लोगों समझाया गया इसका बहुत ही सकारात्मक संदेश जाएगा।दारूल उलूम देवबन्द जब-जब देश-दुनियाँ में इस बात की ज़रूरत महसूस किया गया कि किसी ऐसे संस्थान या व्यक्ति को आगे आना चाहिए तो दारूल उलूम देवबन्द ने हमेशा अपना फ़र्ज़ निभाया है लेकिन गोदी मीडिया लगातार दारूल उलूम देवबन्द को टारगेट करता रहता है क्योंकि उसे नफ़रत फैलाने का ठेका मिला हुआ है साम्प्रदायिक संगठनों की तरफ़ से इस लिए वह ऐसा कर रहे हैं इस बात को जनता को समझना चाहिए कि यह क्या हो रहा है यह सही नहीं है।