देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 10 हज़ार के पार
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अब तक 342 लोगों की मौत हो चुकी है। कोविड19इंडियाडॉटओआरजी के मुताबिक, देशभर में कोरोना वायरस के 10,075 मामले सामने आए हैं, जिनमें 8,555 एक्टिव केस तो 1,178 लोग स्वस्थ हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में कोरोना के 796 नए मामले सामने आए हैं जबकि 35 लोगों की मौत हुई है। वहीं, एक दिन में 141 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं। अब तक कुल 857 मरीज ठीक हो चुके हैं और 308 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय का कहना है कि 15 राज्यों के 25 जिलों में कोरोना के मामले आने बंद हो गए हैं।
देश में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीजों की संख्या महाराष्ट्र में है। यहां 2,064 लोग अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और 150 की मौत हो चुकी है। अकेले मुंबई में 24 घंटे में 59 मामले सामने आ चुके है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं।
एशिया की सबसे बड़ी स्लम बस्ती धारावी में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। रविवार को यहां कोरोना के 15 नए मरीज पाए गए। इसमें से 9 राजीव गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बने क्वारंटाइन सेंटर में थे। इस तरह यहां कोरोना पेसेंट की संख्या 47 तक पहुंच गई है। धारावी के मुकुंद नगर में कोरोना के सबसे ज्यादा 9 मरीज पाए गए हैं। वहीं, सोशल नगर में 6 और डॉ. बालिंगा नगर में 5 मरीज मिले हैं। बाकी मरीज धारावी के अन्य हिस्सों में मिले हैं। वहीं, सोमवार को धारावी में एक और मौत होने के बाद यहां मरने वालों की संख्या पांच हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना की लड़ाई में एनसीसी की भी मदद ली जा रही है। अब तक 50 हजार से ज्यादा लोगों ने खुद को रजिस्टर किया है। वहीं, अब तक 30 करोड़ से अधिक लोगों को 28,256 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी गई है। आईसीएमआर ने कहा कि अब तक कुल 2 लाख 6 हजार टेस्ट किए जा चुके हैं। किट को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे पास इतना स्टॉक उपलब्ध है कि हम अगले 6 हफ्ते तक टेस्टिंग कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने के लिए राज्य लगातार काम कर रही हैं। प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेवानिवृत्त कर्मियों, एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना), एनसीसी कैडेट्स, और अन्य डिपो के अधिकारियों की भी सहायता ली जा रही है।