कोरोना से लड़ने के नाम पर दिया जलाने का आह्वान अवैज्ञानिक, अंधविश्वास फैलाने वाला : माले
लखनऊ: भाकपा (माले) ने कोरोना आपदा से लड़ने के नाम पर पांच अप्रैल को घरों की बत्तियां बुझाकर दिया जलाने के प्रधानमंत्री के आह्वान को अवैज्ञानिक और अंधविश्वास फैलाने वाला बताया है। पार्टी ने कहा है कि कोरोना संकट का मुकाबला दिया जलाने से नहीं, बल्कि जांच, इलाज, संसाधन, सुरक्षा उपकरण, राहत मुहैया कराने और वैज्ञानिकता फैलाने के ही जरिये हो सकता है।
पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों का मेडिकल परीक्षण, चिकित्सा सुविधा व मेडिकल स्टाफ के लिए सुरक्षा उपकरण की जरूरत है। लेकिन इस मामले में चिराग तले ही अंधेरा है। उन्होंने कहा कि कई देशों ने अधिक-से-अधिक लोगों की मेडिकल जांच कराकर महामारी को फैलने से रोका है। लेकिन हमारी सरकार इस मामले में बहुत पीछे है। हमारे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करते हुए खुद भी संक्रमित होकर जानें गंवा रहे हैं, क्योंकि उनकी मांग के बावजूद सरकार उन्हें जरूरी सुरक्षा उपकरण जैसे मास्क, दस्ताने, बचाव के लिए खास तरह के बने वस्त्र (पीपीई) आदि उपलब्ध नहीं करा रही है।
राज्य सचिव ने कहा कि लॉकडाउन के चलते रोज कमाने-खाने वालों, ऑटो-टेम्पो-रिक्शा चालकों, दिहाड़ी मजदूरों, खेतिहर श्रमिकों के सामने जिंदा रहने का संकट पैदा हो गया है। सभी जरूरतमंदों तक सरकारी मदद नहीं पहुंच रही है और जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। राशनकार्ड-जॉबकार्ड-विहीन परिवारों को सरकारी घोषणा के बावजूद मिर्जापुर, सीतापुर समेत कई जिलों में कोटेदारों द्वारा निःशुल्क राशन देने से इनकार किया जा रहा है। जॉबकार्ड होने के बावजूद भी मनरेगा मजदूर परिवारों से राशन के पैसे मांगे जा रहे हैं। बुजुर्गों को ईपास मशीनों पर उनके अंगूठे के मिलान न होने से संकट की इस घड़ी में भी बिना राशन दिए कोटे की दुकान से लौटा दिए जाने की सूचनाएं मिल रही हैं। गांव प्रधान-कोटेदार द्वारा राशन वितरण में भ्रष्टाचार से ग्रामीण गरीब भारी संकट का सामना कर रहे हैं। उनके सामने भुखमरी पैदा होने से अब खाली थाली बजाने की स्थिति पैदा हो गयी है।
माले नेता ने कहा कि ऐसे में पहले थाली बजवाने और अब दिया जलाने का आह्वान कर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार कोरोना से लड़ने में अपनी नाकामियों पर परदा डालने के लिए अंधविश्वास का सहारा ले रही है। इस मामले में प्रधानमंत्री संवैधानिक लोकतंत्र के दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि टोना-टोटका करने के बजाय तर्क और विज्ञान की रोशनी फैलाकर और जरूरी संसाधनों की व्यवस्था कर ही कोरोना वायरस की महामारी से लड़ा जा सकता है।