लॉकडाउन ही बन गया मज़दूरों के मरने की वजह
पैदल चलने और एक्सीडेंट से मर रहे हैं मज़दूर
नई दिल्ली: 21 दिन का लॉकडाउन लगाया तो महामारी कोरोना वायरस से बचाने के लिए है, लेकिन कुछ के लिए यह लॉकडाउन ही मरने की वजह बन गया। लॉकडाउन की वजह से खौफ में अपने घर के लिए निकले 13 लोगों की अलग-अलग हादसों में मौत हो गई। इसमें से एक शख्स 200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मरा, वहीं 12 लोग एक ऐक्सिडेंट का शिकार हो गए।
लॉकडाउन की वजह से सभी राज्यों के बॉर्डर सील हैं। ऐसे में उत्तरी, उत्तर पश्चिमी और पश्चिमी भारत के लगभग हर राज्य के बॉर्डर पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ थी। ये वे कामगार थे जो किसी दूसरे राज्य से आकर काम कर रहे थे और अब काम बंद होने के बाद अपने घर जाना चाहते थे। इनमें से ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल जाना चाहते थे। इन लोगों में बेरोजगारी की वजह से खौफ इतना था कि सरकार के वादों पर भी भरोसा नहीं था, उन्हें खाने, रहने की व्यवस्था करके दी जाएगी। ऐसे में कुछ लोग गाड़ियों, कुछ रिक्शों तो कुछ पैदल ही सैंकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े थे।
दिल्ली-एनसीआर वालों ने शनिवार को आनंद विहार और लाल कुआं बस अड्डे की तस्वीरें देखी होंगी। कुछ ऐसा ही हाल बाकी राज्यों का भी है। आंध्र प्रदेश-कर्नाटक, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना बॉर्डर, आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु और तेलंगाना-महाराष्ट्र के बॉर्डर पर हजारों की संख्या में लोग थे।