दिल्ली दंगे का दंश झेलने वाला BSF जवान बोला-अब लगता है इस देश में रहने का अधिकार नहीं
नई दिल्ली: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में 22 साल सेवाएं देकर साल 2002 में हेड कांस्टेबल के पद से रिटायर हुए 58 वर्षीय आस मोहम्मद अब उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक शिविर में रहने को मजबूर हैं.
पिछले सप्ताह उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में दंगाईयों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया. अब वह सैकड़ों लोगों के साथ मुस्तफाबाद के ईदगाह में एक राहत शिविर में शरण लिए हुए हैं. मोहम्मद का घर पड़ोस में ही भागीरथी विहार में था, जिसे पिछले सप्ताह हिंसक भीड़ ने फूंक दिया.
एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, '200-300 दंगाई आए, पत्थर फेंके और गोलियां चलाईं. इसके बाद घर को आग के हवाले कर दिया. मैं घर के अंदर अपने 26 साल के बेटे के साथ था. हम लोग छत पर गए और फिर पड़ोस के घर में कूद गए. मेरे भतीजे की 29 मार्च को शादी होनी थी इसलिए घर में गहने रखे थे वो भी लूट लिए गए.' मोहम्मद ने अपनी पत्नी और दो बेटों को अपने गृह निवास बुलंदशहर भेज दिया था.
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साथ ही उन्होंने कहा, 'साल 1991 में मैं कश्मीर में तैनात था और मैं जख्मी भी हुआ था. लेकिन अब दंगों में जो हुआ है, उसके बाद से मुझे लगने लगा है कि मुझे इस देश में रहने का अधिकार नहीं.' भागीरथी विहार वो इलाका है, जहां पिछले सप्ताह हुई हिंसा का असर सबसे ज्यादा दिखाई दिया. इस इलाके में चार दिन तक दंगाई लोहे की रॉड, पत्थर और हॉकी की स्टीक लेकर घूमते हुए नजर आए. इस भीड़ ने लोगों के साथ मारपीट, आगजनी और मारपीट की. बता दें, दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए हिंसा में 46 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए. भागीरथी विहार में रविवार शाम को भी दो शव मिले हैं