शेयर बाजार पर कोरोना का क़हर, सेंसेक्स-निफ़्टी धड़ाम
मुंबई: शेयर बाजार के लिए शुक्रवार का दिन 'काला दिन' रहा। दुनियाभर के शेयर बाजारों पर कोरोना का असर हावी रहा, जिससे कारण घरेलू बाजार भी धड़ाम हुआ। बीएसई का सेंसेक्स 1448.37 अंकों (3.64%) की गिरावट के साथ 38,297.29 पर बंद हुआ। सेंसेक्स की यह दूसरी सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। वहीं, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 414.10 अंक (3.56%) फिसलकर 11,219.20 पर बंद हुआ। 24 अगस्त, 2015 के बाद सेंसेक्स की यह सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। वहीं, 2009 के बाद निफ्टी में सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है।
दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 39,087.47 का ऊपरी स्तर तथा 38,219.97 का निचला स्तर छुआ, जबकि निफ्टी ने 11,384.80 का उच्च स्तर तथा 11,175.05 का निम्न स्तर छुआ। दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी के लगभग सभी शेयर लाल निशान पर देखे गए।
बीएसई पर 29 कंपनियों के शेयर लाल निशान पर तो महज एक कंपनी का शेयर हरे निशान पर बंद हुआ। वहीं, एनएसई पर 48 कंपनियों के शेयरों में बिकवाली तथा 2 कंपनियों के शेयरों में लिवाली दर्ज की गई।
कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी की चिंता से दुनियाभर के बाजारों में गिरावट देखी जा रही है, जिसके कारण कंपनियों की संपत्तियों में भारी गिरावट हो रही है। घरेलू शेयर बाजार में लगभग सभी सेक्टर्स में बिकवाली का दबाव हावी रहा। मेटल तथा आईटी के शेयरों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
डॉलर के मुकाबले रुपया छह महीने के निचले स्तर पहुंच गया है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 72.03 पर कारोबार कर रहा था। ट्रेडिंग बेल्स के सीनियर ऐनालिस्ट संतोष मीना ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के असर का अनुमान लगाना अभी भी काफी कठिन है।
6 दिनों से बाजार लगातार गिर रहा है। 6 दिनों में जहां निवेशकों को 10 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है, वहीं बड़े-बड़े कारोबारियों के अरबों रुपये स्वाहा हो गए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी इस साल 5 अरब डॉलर की संपत्ति गंवा चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सा बीते पखवाड़े में हुआ। 11 दिनों में शेयर बाजार में RIL को करीब 54 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
निवेशकों को डर है कि तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस वैश्विक इकॉनमी पर और कहर पाएगा, जो लंबे समय तक दिखाई देगा। वाणिज्य और उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के मुताबिक, कोरोना वा.यरस के फैलने से वैश्विक ग्रोथ 0.3 प्रतिशत तक घट सकती है। यानी करीब 230 अरब डॉलर का नुकसान। मंडल ने बताया कि कोरोना के असर से न सिर्फ चीन से सप्लाई बाधित होगी बल्कि आयात करने वाले देशों के निर्यातों पर भी असर पड़ेगा।