जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर उठने लगी उँगलियाँ
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर हर तरफ चर्चा हो रही है। जस्टिस एस मुरलीधर दिल्ली हिंसा से एक मामले पर सुनवाई कर रहे थे लेकिन बुधवार देर रात उनके तबादले का आदेश जारी हो गया है। कांग्रेस ने एस मुरलीधर के तबादले को लेकर सरकार की निंदा की है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला पंजाब और हरियामा हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की। इसके अलावा इस बैठक में बंबई हाईकोर्ट के जज रंजीत वी मोरे का तबादला मेघालय हाईकोर्ट, कर्नाटक हाईकोर्ट के जज रवि विजयकुमार मलिमथ को उत्तराखंड हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई।
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में किए जाने पर बुधवार को हैरानी जताई। बार एसोसिएशन ने इस सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के तबादले संस्था के लिए हानिकारक हैं। मुरलीधर के तबादले के विरोध में बार एसोसिएशन ने बीते गुरुवार को अपने सदस्यों से काम नहीं करने का आग्रह किया। बार एसोसिएशन ने इस तबादले को दुर्लभ से दुलर्भतम मामला बताते हुए उम्मीद जताई की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम इस तबादले को वापस ले लेगा।
जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले के विरोध में वकील दिल्ली हाईकोर्ट में काम करने नहीं पहुंचे।
मंगलवार को आधी रात में जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस अनूप जे भंभानी की पीठ ने दिल्ली पुलिस को संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को लेकर हुई हिंसा में घायल हुए लोगों के सुरक्षित निकास और उनका तत्काल उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। पीठ ने दिल्ली पुलिस अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी, जिसमें घायलों और उन्हें दिए गए उपचार के बारे में जानकारी हो। इसकी सुनवाई बुधवार दोपहर 2.15 बजे तय हुई।
बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस एस मुरलीधर की बेंच ने भड़काऊ भाषण देने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का वीडियो चार बार कोर्ट रूम में चलाया। अदालत ने भड़काऊ भाषण देने वालों नेताओं के खिलाफ जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज करने की मांग की। इसके बाद 'द प्रिंट' ने खबर दी कि जस्टिस एस मुरलीधर इस केस की सुनवाई नहीं करेंगे और उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया है। इस बाबत तबादले का आदेश बुधवार देर रात जारी हुआ।
जस्टिस मुरलीधर ने सितंबर, 1984 में चेन्नई में वकालत शुरू की थी। 1987 में दिल्ली आकर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत करने लगे थे। वह सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमिटी में सक्रिय थे और दो बार इसके सदस्य भी रह चुके थे।